सार
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में कई बाबा चर्चा में हैं। सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा आईआईटी बाबा अभय सिंह की है। लोग उनसे प्रभावित भी हैं और उनकी आलोचना भी कर रहे हैं। बाबा अजय सिंह के गांजा पीते हुए वीडियो भी सामने आए हैं। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं आईआईटी से पढ़े और अमेरिका से नौकरी करके अध्यात्म की तरफ लौटे एक और बाबा की। ये हैं आचार्य जयशंकर जिन्होंने आधुनिक जीवन के सभी साधन छोड़कर आध्यात्म का मार्ग चुन लिया है। आचार्य जयशंकर ने अपने जीवन के इस असाधारण परिवर्तन से समाज में एक अनोखा संदेश दिया है। जैसे आचार्य जयशंकर का व्यक्तित्व असाधारण है, वैसे ही आध्यात्म की तरफ उनका सफर भी असाधारण है।
अमेरिका में लगी थी नौकरी
आचार्य जयशंकर उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पहुंचे और पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में नौकरी करने लगे। लेकिन भौतिक सुख-सुविधाओं से भरी जिंदगी के बावजूद उनका मन आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित रहा। अमेरिका में काम करने के दौरान, उन्होंने महसूस किया कि जीवन की सच्ची शांति और उद्देश्य केवल भौतिक चीज़ों से नहीं पाया जा सकता। इसी सोच ने उन्हें अपने देश लौटने और आध्यात्मिक जीवन को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
भारत लौटने के बाद उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा और समय धार्मिक अध्ययन, ध्यान और समाज सेवा में समर्पित कर दिया। आज आचार्य जयशंकर प्रयागराज में एक प्रमुख धार्मिक व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने आध्यात्मिकता के माध्यम से समाज को जोड़ने और प्रेरित करने का प्रयास किया है। महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन में उनकी उपस्थिति और प्रवचन बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करते हैं। अध्यात्म की तरफ अपनी यात्रा के बारे में उन्होंने कहा, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की गहराई में वह सुकून है जो पश्चिमी दुनिया के भौतिक सुखों में कभी नहीं मिल सकता।
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भारतीय परंपराओं से जुड़ने की आवश्यकता
उनका मानना है कि युवाओं को भारतीय परंपराओं और अध्यात्म से जुड़ने की आवश्यकता है, जिससे वे जीवन के सही मायने समझ सकें। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद अमेरिका में नौकरी करने वाले आचार्य जयशंकर आर्ष विद्या संप्रदाय से जुड़े हैं। उनके गुरू स्वामी दयानंद सरस्वती हैं जिनका आश्रम ऋषिकेश में हैं। आचार्य जयशंकर ने अमेरिका से लौटने के बाद वेदांत की शिक्षा ली। अब वह भारत में अपने अनुयायियों को यही सिखा रहे हैं। उनका मानना है कि सच्चा मोक्ष जीवन में ही प्राप्त किया जा सकता है, उसके लिए मृत्यु जरूरी नहीं है।आचार्य जयशंकर ने कहा कि शास्त्र हमें हमारे सत्य स्वरूप को दिखाते हैं। इनसे हमें पता चलता है कि सत्य हम ही हैं।