सार
सीबीआई की कोर्ट ने 150 रुपए घूस लेने के मामले में एक आरोपी को 32 साल बाद सजा सुनाई है। आरोपी को डेढ़ साल की सजा हुई है और उस पर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
लखनऊ: 150 रुपए घूस लेने के एक मामले में 32 सालों तक मुकदमा चला और 87 साल की उम्र में आरोपी को डेढ़ साल की सजा सुनाई गई। सीबीआई की विशेष अदालत के द्वारा गुरुवार को रेलवे के रिटायर्ड क्लर्क राम नारायण वर्मा को 150 रुपए घूस के मामले में यह सजा सुनाई गई। दो अलग-अलग धाराओं में उन्हें 15 हजार रुपए जुर्माने और डेढ़ साल की सजा हुई। आरोपी ने मेडिकल प्रमाण पत्र बनाने के लिए यह घूस ली थी। सुनवाई के दौरान इस मामले में आरोपी की मौत भी हो चुकी है।
100 रुपए चुकाए बिना प्रमाणपत्र देने से किया था इंकार
आपको बता दें कि आरोपी राम नारायण वर्मा 1991 में लखनऊ में रेलवे अस्पताल में क्लर्क के तौर पर तैनात था। उसके द्वारा सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी इंजन ड्राइवर लोको फोरमैन रामकुमार तिवारी से घूस ली गई थी। उसका मेडिकल प्रमाणपत्र बनवाने के लिए आरोपी ने 150 रुपए मांगे थे। शिकायतकर्ता गरीब था और उसने किसी तरह से 7 अगस्त 1991 को 50 रुपए का इंतजाम करके दिया था। हालांकि आरोपी ने 100 रुपए चुकाए बिना प्रमाणपत्र देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद मामले में पीड़ित रामकुमार तिवारी ने तात्कालिक सीबीआई पुलिस अधीक्षक से शिकायत की थी।
कोर्ट ने कहा आरोपी को दंडित किया जाना जरूरी
पुलिस अधीक्षक के द्वारा गठित टीम ने रामकुमार को 50-50 के दो नोट दिए। इन नोट को घूस मांगने वाले बाबू राज नारायण वर्मा को देने को कहा गया। ढाबे पर बुलाकर राज नारायण वर्मा को जब पीड़ित यह पैसे दे रहा था तभी सीबीआई की टीम ने आरोपी को रंगे हाथों पकड़ लिया। मामले की सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता रामकुमार तिवारी की मौत हो गई। इस बीच सुनाव में सीबीआई अदालत के एडीजे पश्चिम अजय विक्रम सिंह ने कहा कि आरोपी की आयु और उसके पास से बरामद रिश्वत राशि को देखा जाए तो मामला बड़ा नहीं है। लेकिन 32 साल पहले 100 रुपए किसी जरूरतमंद के लिए अधिक थे। उसे पेंशन के रुप में सिर्फ 382 रुपए ही मिलते थे। लिहाजा आरोपी को दंडित किया जाना अत्यंत आवश्यक है।