सार

इंडियन आइडल 13 के विनर ऋषि सिंह के माता-पिता के पास बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है। उन्होंने कुछ दिन पहले ही हनुमानगढ़ी और रामलला के दर्शन किए थे और जीत का आशीर्वाद मांगा था।

अनुराग शुक्ला

अयोध्या: सफलता भी उसकी व्यक्ति की तरफदार होती है,मेहनत जिसकी वफादार होती है। यह बात को राम नगरी के लाल ऋषि सिंह ने सिंगिंग रियलिटी शो इंडियन आइडल 13 के विजेता बनते ही एक बार फिर चरितार्थ कर दी है। उनकी जीत के बाद से पूरी रामनगरी में जश्न का माहौल है। उनके मोहल्ले खवासपुरा में सभी लोग एक दूसरे को बधाई संदेश देकर खुशी मना रहे हैं। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुंबई गए उनके माता-पिता को फोन कर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ। बता दें अभी कुछ दिन पहले ऋषि सिंह अयोध्या आए थे। उन्होंने रामलला, हनुमानगढ़ी और कनक भवन में दर्शन कर फाइनल जीतने का आशीर्वाद भगवान से मांगा था। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा आयोजित नौ दिवसीय रामनवमी के आयोजन में वे शामिल हुए थे। उन्हें समिति के लोगों ने सम्मानित किया था।

ऋषि सिंह के पिता राजेंद्र सिंह और माता अंजलि का कहना है कि इतनी बड़ी खुशी को शब्दों में कैसे बयां करें समझ नहीं आ रहा। उन्होंने बताया मोहल्ले खवासपुरा में किराए के मकान में रहते हैं,और सीडीओ कार्यालय में कर्मचारी हैं। घर के बगल ही गुरुद्वारा है जिसके वे सेवादार हैं। प्रतिदिन सुबह 5 बजे गुरुवाणी और भजन का कार्यक्रम होता है। ऋषि जब दो वर्ष का था तब से ही कार्यक्रम की आवाज कानों में पड़ते ही जाने की जिद्द करता था,और छोटे- छोटे हाथों से ढोल मंजीरा हारमोनियम बजाने के साथ गाने की भी कोशिश करता था। इसके बाद 2006 से आर्ट आफ लिविंग से भी जुड़ गए और वहां पर बृहस्पतिवार को भजन और सत्संग के कार्यक्रम में चार साल की उम्र में संस्थान ने भजन सिंगर घोषित कर दिया।

ईश्वरीय देन है, संगीत की सारी विधाएं खुद सीखीं

पिता ने कहा भगवान की देन है, कि संगीत की सारी विधाएं ऋषि ने खुद सीखी है। इसको भगवान का उपहार मिला है। भगवान ही इसका गुरु है। संगीत की शिक्षा किसी से नहीं ली। पिता ने बताया नगर में संगीत का कोई विद्यालय ना होने के कारण यूट्यूब सही तो सोशल मीडिया के अन्य साधनों का उपयोग कर गाने की कला सीखी। उन्होंने बताया दिन में कई घंटे रियाज में ही गुजार देता था।

गाने के साथ एविएशन मैनेजमेंट का कोर्स करने की ठानी

2 जुलाई 2003 को जन्म लेने वाले ऋषि की प्राथमिक शिक्षा मोहल्ले की इंडो चिल्ड्रन एकेडमी से शुरू हुई। फिर इंटर तक की पढ़ाई कैंब्रियन विद्यालय में हुई। उसके बात पिता के कहने पर एवियशन मैनेजमेंट का कोर्स करने हिमगिरी विश्वविद्यालय देहरादून चले गए। वहां पर भी उन्होंने इंडियन आइडल में शामिल होने के लिए गाने का रियाज जारी रखा।

बेटे को गोद लेने के सवाल को टाल गए पिता

प्रतियोगिता के फाइनल में माता-पिता के साथ दोस्तों की भी मौजूदगी हो इस बात को ऋषि ने बखूबी समझा। खास दोस्त हर्ष गुप्ता, अभिराज तिवारी ,शिवांशु श्रीवास्तव और हनुमानगढ़ी के संत कृष्णकांत को मुंबई बुलाकर ग्रैंड फिनाले के आयोजन में बैठाया। हर्ष बताते हैं कि वे नगर में होने वाली कई विभिन्न प्रतियोगिताओं में साथ मे रहे। ऋषि ने कई प्रतियोगिताओं को जीता है। स्कूल के हर कंपटीशन में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। कैंब्रियन स्कूल के प्रिंसिपल जयंत चौधरी कहते हैं ऋषि के अंदर लगन और प्रतिभा दोनों थी जिसका परिणाम सबके सामने है। ऋषि ने इंडियन आइडल के मंच से सार्वजनिक तौर पर बताया कि वे अपने माता-पिता की जैविक संतान नहीं है। उन्हें गोद लिया गया था। इसकी जानकारी पिता से पूछने पर वो बात को टाल जाते हैं ।

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