सार
Karva Chauth 2023 myth: आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश के मथुरा का एक गांव ऐसा भी है, जहां की महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं।
मथुरा. इस बार करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को है। इस दिन देशभर में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर पूजा-अर्चना करेंगी। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश के मथुरा का एक गांव ऐसा भी है, जहां की महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं।
करवा चौथ की प्रचलित कहानी और व्रत
उत्तर प्रदेश की कृष्ण नगरी मथुरा के सुरीर कस्बे में एक मोहल्ला ऐसा भी है, जहां की महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं। इसके पीछे एक किवदंती है। कहा जाता है कि नौहझील के गांव रामनगला का एक ब्राह्मण युवक अपनी नवविवाहिता को ससुराल से विदा कराकर लौट रहा था। वो यमुना पार करके भैंसा-बग्घी से घर लौट रहा था। जब दम्पती सुरीर के रास्ते मोहल्ला वघा से गुजर रहा था, तभी यहां रहने वाले ठाकुरों का भैंसे को लेकर विवाद हो गया। झगड़ा इतना बढ़ा कि ठाकुरों ने ब्राह्मण को मार डाला। कहते हैं कि अपने पति की मौत से दु:खी नवविवाहिता ने यहां के लोगों को श्राप दिया और फिर सती हो गई। किवंदती है कि इसके बाद मोहल्ले के जवान युवकों की मौत होने लगी।
Karva Chauth 2023: कैसे मिली श्राप से मुक्ति?
लोगों का मानना है कि सती का श्राप शांत करने के लिए ठाकुरों ने अपनी गलती मानी और मोहल्ले में सती का मंदिर बनवा दिया। लोगों का कहना है कि इसके बाद नौजवान युवकों की मौत का सिलसिला तो रुक गया, लेकिन करवा चौथ मनाना बंद हो गया। लोगों का मानना है कि करवा चौथ पर अगर महिलाएं साज-श्रृंगार करेंगी, तो सती नाराज हो सकती हैं। यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि गांव में सती का मंदिर कब और किसने बनवाया, यह कोई नहीं जानता है। शादी के बाद नव दम्पती सती मंदिर में माथा टेकने अवश्य आते हैं।
बता दें कि हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत होता है। इस बार यह तिथि 1 नवंबर को है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीगणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है। कुछ स्थानों पर इस दिन चौथ माता की पूजा की भी परंपरा है।
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