कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया ब्लॉक में स्वास्थ्य संकट गहराया, 7 दिन में पांच बच्चों की मौत से हड़कंप। बुखार और खांसी से दो मासूमों की मौत, 110 बच्चों की स्क्रीनिंग। ग्रामीणों में दहशत, स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल। प्रशासन ने कैंप लगाकर निगरानी बढ़ाई।
कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में बच्चों की लगातार हो रही मौतों ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है। पिछले 24 घंटों में दो और मासूमों की जान चली गई। अब स्थिति यह है कि एक सप्ताह के भीतर पांच बच्चों की मौत हो चुकी है और दर्जनों बीमार हैं। ग्रामीण भय और चिंता में जी रहे हैं, जबकि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
पिपरा खुर्द दलित बस्ती में दो मासूमों की जान गई
पिपरा खुर्द गांव की दलित बस्ती में 7 वर्षीय सागर और 3 वर्षीय अंश की तबीयत अचानक बिगड़ गई। पहले बुखार, फिर तेज खांसी और झटके आने के बाद परिजन उन्हें इलाज के लिए दौड़ाते रहे। पहले झोलाछाप डॉक्टर, फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और अंत में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचाने तक दोनों की मौत हो गई। ग्रामीणों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और समय पर इलाज न मिलने से बच्चों की जान गई।
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प्रशासन हरकत में, गांव में लगाया गया मेडिकल कैंप
बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने गांव में जांच अभियान शुरू कर दिया है। अब तक:
- 110 बच्चों की स्क्रीनिंग
- 7 में गंभीर व संदिग्ध लक्षण
- लगातार मेडिकल टीम की तैनाती
इसके साथ ही, गांव में साफ-सफाई और पीने के पानी की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
डीएम बोले “स्थिति नियंत्रण में”
कुशीनगर के जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने कहा:
- 800 से अधिक लोगों की स्वास्थ्य जांच की जा चुकी है
- लेप्टोस्पायरोसिस जैसे लक्षण पाए गए
- बीमारी मनुष्य से मनुष्य में नहीं फैलती
- लगातार मॉनिटरिंग और उपचार जारी
डीएम ने आश्वासन दिया कि किसी भी हाल में हालात को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल
लगातार हो रही बच्चों की मौत ने यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं आखिर कब बेहतर होंगी।ग्रामीणों का आरोप है:
- स्वच्छ पानी की कमी
- फॉगिंग का अभाव
- झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार
- CHC में इलाज की गंभीर कमी
लोगों का कहना है कि अगर व्यवस्था समय रहते जाग जाती, तो कई बच्चों की जान बच सकती थी।
दहशत में गांव, इलाज और सुरक्षा की मांग
गांव में लोग चिंतित हैं कि यह बीमारी और भी न फैले। परिजनों की मांग है कि सरकार स्थिति पर विशेष ध्यान दे और स्थायी स्वास्थ्य समाधान उपलब्ध कराए।
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