सार
गैंगस्टर अतीक अहमद की इस बात को बहुत कम ही लोग जानते है कि उसकी नजर गांधी परिवार की संपत्ति पर थी। उसने अपने गुर्गों को भेजकर जमीन पर कब्जा भी कर लिया था।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के जिले प्रयागराज के प्रसिद्ध माफिया अतीक अहमद का दशकों से चला आ रहा साम्राज्य ढह गया जब 15 अप्रैल को शहर में पुलिस हिरासत में होने के बाद भी उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। बाहुबली की इस बात से बहुत से लोग बिल्कुल अंजान है कि एक बार यूपी की राजधानी लखनऊ के पॉश सिविल लाइंस इलाके में संपत्ति के एक टुकड़े को लेकर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की रिश्तेदार वीरा गांधी से लड़ाई भी हुई थी।
समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहा था अतीक
दरअसल प्रयागराज में वीरा गांधी का परिवार प्रमुख है और वे सिविल लाइंस क्षेत्र में पैलेस टॉकीज के मालिक हैं। यह घटना कथिततौर पर साल 2007 में हुई थी, जब अतीक ने अपने गुर्गों के जरिए उस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। वीरा गांधी की संपत्ति पैलेस टॉकीज के पीछे स्थिति थी और उसे बंद कर दिया था। इस दौरान अतीक अहमद फूलपुर से सांसद था और तब प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया से लगाई थी गुहार
सोनिया गांधी के रिश्तेदार वीरा गांधी को जब इसके बारे में पता चला तो उन्होंने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से कार्रवाई करने की गुहार लगाई मगर कुछ नहीं हुआ। उसके बाद वह दिल्ली के लिए रवाना हुईं और कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। इस दौरान सोनिया गांधी केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की अध्यक्ष थीं। फिर बाहुबली अतीक को जमीन छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
बाहुबली अन्य जमीनों पर भी करना चाहता था कब्जा
जमीन कब्जे को लेकर पूर्व महानिरीक्षक (आईजी) लालजी शुक्ला का कहना था कि वीरा गांधी के परिवार के पास प्रयागराज में कई जमीनें थीं। माफिया अतीक और उसके गुर्गें वीरा गांधी की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे क्योंकि यह पैलेस टॉकीज के पीछे स्थित थी। उन्होंने कहा कि माफिया ने इसको एक प्रयोग के तौर पर अजमाया था। अगर वह इस जमीन पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया होता तो वीरा गांधी के परिवार की अन्य जमीनों पर भी कब्जा कर लेता।
मीडियाकर्मियों व पुलिसकर्मियों के सामने हुई थी हत्या
बता दें कि 15 अप्रैल की रात को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पुलिस हिरासत में होने के बाद भी तीन लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। वह दोनों पुलिस के साथ चिकित्सा जांच के लिए अस्पताल आए थे और पत्रकारों से बात करने के दौरान घटना को अंजाम दिया गया था। दोनों ही साल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल की हत्या के आरोपी थे। फिलहाल पुलिस ने दोनों भाईयों की मौत के तीनों शूटरों को गिरफ्तार कर लिया है और कोर्ट से रिमांड की मांग कर पूछताछ जारी है।
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