बागपत के गांगनौली गांव में हुए तिहरे हत्याकांड के बाद मौलवी इब्राहिम ने गांव छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब यहां उनका कुछ नहीं बचा। पत्नी और दो बेटियों की हत्या के बाद मौलवी ने समाज से अपील की कि बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए जाएं।

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के गांगनौली गांव में हुए दिल दहला देने वाले तिहरे हत्याकांड के बाद अब मौलवी इब्राहिम (मुफ्ती) ने गांव छोड़ दिया है। तीन दिन पहले जिस मस्जिद में वे दीनी तालीम देते थे, वहीं उनकी पत्नी और दो बेटियों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अब दर्द से टूटा यह पिता गांव की गलियों से रूंधे गले और नम आंखों के साथ विदा हो गया।

“अब यहां रहकर क्या करूंगा, सबकुछ खत्म हो गया”

मौलवी इब्राहिम ने कहा, “जब मेरा यहां कुछ भी नहीं बचा, तो अब रहकर क्या करूंगा।” उन्होंने बताया कि उनके पास कुरान पढ़ने आने वाले बच्चे ही उनके सबकुछ थे, लेकिन शायद उन्हें घर से संस्कार नहीं मिले। उन्होंने कहा , “घर में अगर शिक्षा के साथ संस्कार न हों, तो बच्चे राह भटक जाते हैं। यह हादसा उसी का नतीजा है।” उन्होंने समाज से अपील की कि हर माता-पिता अपने बच्चों को केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि सही परवरिश और अनुशासन भी दें। “घर का माहौल बच्चों का चरित्र बनाता है, जब तालीम और निगरानी खत्म हो जाती है, तब बच्चे अपराध की राह पकड़ लेते हैं,” मौलवी ने कहा।

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तीन दिन पहले हुई थी खौफनाक वारदात

गौरतलब है कि गांगनौली की बड़ी मस्जिद में तीन दिन पहले मौलवी इब्राहिम की पत्नी इसराना (30), बेटियां सोफिया (5) और सुमैया (2) की हत्या कर दी गई थी। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि यह वारदात मौलवी से पढ़ने वाले दो नाबालिग छात्रों (14 और 16 वर्ष) ने की थी। दोनों ने मौलवी की डांट और सजा से नाराज होकर यह साजिश रची थी। वारदात के बाद उन्होंने कपड़े बदले, कबड्डी खेलने चले गए और खुद को बचाने के लिए वीडियो भी बनवाया। पुलिस ने मात्र छह घंटे में मामले का खुलासा करते हुए दोनों किशोरों को गिरफ्तार कर लिया और उनके कब्जे से हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा और छुरी बरामद की।

मौलवी ने प्रशासन का जताया आभार

गांव छोड़ते समय मौलवी इब्राहिम ने कहा कि वह बागपत पुलिस और योगी सरकार के आभारी हैं कि बिना किसी दबाव या सिफारिश के उन्होंने सच्चाई सामने रखी। उन्होंने कहा, “पुलिस ने जिस तेजी से काम किया, उससे मुझे इंसाफ मिला है।” अपना सामान टैम्पू में लादकर जब मौलवी ने गांव छोड़ा, तो वहां मौजूद ग्रामीण और महिलाएं भावुक हो उठीं। कई लोग उनकी आंखों से छलकते आंसू देखकर खुद भी रो पड़े।

“शिक्षा के साथ संस्कार जरूरी” - सांसद डॉ. सांगवान

बागपत सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान सोमवार को गांव पहुंचे और मौलवी से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि यह घटना पूरे समाज के लिए सीख है। “केवल शिक्षा नहीं, संस्कार देना भी अभिभावकों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। योगी सरकार में कानून व्यवस्था सुदृढ़ है, तभी यह मामला इतनी तेजी से सुलझ सका।”

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