कृषि क़ानूनों को वापस लेने का ऐलान कर प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उदारवादी छवि पेश करने की कोशिश की है। एक ऐसी सरकार, जो सर्वसम्मति से अपने फैसले लागू करने में यकीन रखती है, जबरन और तानाशाही तरीके में उसका कोई विश्वास नहीं।पीएम के इस फैसले के बाद से विपक्ष लगातार प्रतिक्रियाएं भले ही दे रहा है लेकिन उसको कहीं न कहीं यह भी लग रहा है कि सरकार को घेरने का सबसे बड़ा मुद्दा खत्म हो गया।