सार
प्रयागराज महाकुंभ मेला 2025: प्रयागराज में धूमधाम से शुरू हुआ महाकुंभ, मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को शुरू हुआ पहला अमृत स्नान। रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 9.30 घंटे चलने वाले इस अमृत स्नान में आज 13 अखाड़े हिस्सा लेंगे। सभी अखाड़ों को संगम स्नान के लिए 40-40 मिनट का समय दिया गया है। इस अमृत स्नान में सबसे पहले नागा साधु स्नान करेंगे और फिर उनके भक्त। अब तक आपने नागा साधुओं के बारे में बहुत कुछ जाना और सुना होगा, लेकिन महिला नागा साधुओं के बारे में आप कितना जानते हैं?
बहुत अलग होती हैं महिला नागा साधु
अब आपको बता दें कि महिला नागा साधु पुरुष नागा साधुओं से काफी अलग होती हैं, उनकी दुनिया बिल्कुल अलग और अजीब होती है। तो आइए जानते हैं महिला नागा साधुओं के बारे में, वो क्या खाती हैं, कहां रहती हैं और कैसे बनती हैं।
कैसे बनती है महिला नागा?
महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया काफी कठिन है, महिलाओं को नागा साधु बनने के लिए कठिन साधना करनी पड़ती है। नागा साधु बनने वाली महिलाओं को 10-15 साल तक कठोर ब्रह्मचर्य का पालन का पालन करना पड़ता है। नागा साधु बनने के लिए महिला को अपने गुरु को यह विश्वास दिलाना होता है कि वह नागा बनने के लिए पूरी तरह योग्य है। इसके बाद जब गुरु आश्वस्त हो जाते हैं तो उसे नागा साधु बनने की अनुमति मिल जाती है।
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करना होता पिंडदान
इसके बाद नागा साधु बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। नागा साधु बनने के लिए महिला को अपना पिंडदान करना होता है, साथ ही अपना सिर मुंडवाना होता है। इसके बाद महिला को नदी में स्नान कराया जाता है और महिला पूरे दिन भगवान के नाम का जाप करती है।
शिव की आराधना करती हैं महिला नागा साधु
पुरुषों की तरह महिला नागा साधु भी भगवान शिव की पूजा करती हैं। वे सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शिव का नाम जपती हैं और शाम को भगवान दत्तात्रेय की पूजा भी करती हैं। फिर दोपहर के भोजन के बाद शिव का नाम जपती हैं।
महिला नागा साधु क्या खाती हैं और कहां रहती हैं?
नागा साधु जड़, फल, जड़ी-बूटी, मेवे और कई तरह के पत्ते खाते हैं। इसी तरह महिला नागाओं को भी यही खाना पड़ता है। महाकुंभ के दौरान साधुओं की तरह महिला नागा भी शाही स्नान (अमृत स्नान) करती हैं। लेकिन पुरुष नागा और महिला नागा अलग-अलग रहते हैं। अखाड़ों में महिला संन्यासियों के लिए अलग व्यवस्था है। हालांकि, महिला नागा साधु पुरुष नागा साधु के बाद स्नान करने जाती है। अखाड़े में नागा साध्वियों को माई, अवधूतनी या नागिन जैसे उपनामों से पुकारा जाता है।
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