सार

महाकुंभ भगदड़ की जांच के लिए न्यायिक आयोग प्रयागराज पहुंचा और प्रशासन से सवाल-जवाब किए। भीड़ नियंत्रण के इंतज़ामों पर प्रशासन संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। CCTV फुटेज और प्लानिंग की जानकारी भी मांगी गई।

महाकुंभ नगर। महाकुंभ 2025 में 29 जनवरी को हुई भगदड़ की जांच के लिए शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे न्यायिक आयोग की टीम प्रयागराज पहुंची। टीम में रिटायर्ड जज हर्ष कुमार, पूर्व डीजी वीके गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस डीके सिंह शामिल रहे। सर्किट हाउस में आयोग ने प्रयागराज जोन के कमिश्नर विजय विश्वास पंत, मेला अधिकारी विजय किरन आनंद, एडीजी भानु भास्कर, डीआईजी वैभव कृष्ण समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से बैठक कर घटना की विस्तृत जानकारी ली।

प्रशासन नहीं दे सका संतोषजनक जवाब

सूत्रों के अनुसार, न्यायिक आयोग ने सबसे पहले मेला प्राधिकरण के अधिकारियों से सवाल किया कि "जब इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना थी, तो भीड़ नियंत्रण के क्या ठोस इंतजाम किए गए थे?" लेकिन प्रशासनिक अधिकारी संतोषजनक जवाब देने में असमर्थ रहे। आयोग ने नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि "यदि व्यवस्थाएं चाक-चौबंद थीं, तो फिर भगदड़ क्यों हुई?"

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न्यायिक आयोग के चार प्रमुख सवाल:

  1. क्या पहले से भीड़ नियंत्रण की ठोस योजना थी? अगर हां, तो भगदड़ कैसे हुई?
  2. यह भगदड़ संगम क्षेत्र के अलावा अन्य किन स्थानों पर हुई?
  3. मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो की सच्चाई क्या है? क्या झूंसी क्षेत्र में भी कोई घटना हुई?
  4. CCTV फुटेज उपलब्ध कराए जाएं और भीड़ नियंत्रण प्लानिंग का पूरा विवरण दिया जाए।

31 करोड़ से अधिक श्रद्धालु कर चुके हैं संगम स्नान

महाकुंभ के 19वें दिन शुक्रवार को अब तक 1.40 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं, जिससे 13 जनवरी से अब तक कुल संख्या 31 करोड़ के पार पहुंच गई है। इस दौरान किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने महामंडलेश्वर और श्रीमहंत बनाए जाने के समारोह में नृत्य किया।

CCTV फुटेज पर प्रशासन मौन

न्यायिक आयोग ने अधिकारियों से भगदड़ के CCTV फुटेज और भीड़ नियंत्रण की प्लानिंग का विवरण मांगा। लेकिन सूत्रों की मानें तो अफसर इन सवालों पर स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ अपनी उपलब्धियों की चर्चा करते रहे, जिससे आयोग असंतुष्ट नजर आया।

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