सार
Sambhal Masjid survey row: संभल मस्जिद सर्वे के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ विपक्ष द्वारा राज्य के कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाए जाने के बाद राजनीतिक पारा चढ़ गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने लोअर कोर्ट को निर्देशित किया है कि सर्वे रिपोर्ट को जारी नहीं किया जाए। उधर, शनिवार को सपा के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को संभल में एंट्री पर रोक लगा दिया गया। कई नेताओं को सुबह-सवेरे ही हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। सपाइयों को रोके जाने पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार की तीखी आलोचना की है। शाही जामा मस्जिद में हाल ही में हुई हिंसा की जांच करने के लिए गठित इस दल का नेतृत्व यूपी विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय कर रहे थे।
संभल प्रशासन ने 10 दिसंबर तक लागू की नो एंट्री
संभल जिला प्रशासन ने बाहरी लोगों के जिले में प्रवेश पर 10 दिसंबर तक रोक लगा दी है। जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने आदेश जारी किया है कि कोई भी बाहरी व्यक्ति, कोई भी सामाजिक संगठन या कोई भी जनप्रतिनिधि 10 दिसंबर तक सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना जिले की सीमा में प्रवेश नहीं कर सकता। जिला प्रशासन ने यह निर्देश 24 नवम्बर को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के बाद उठाया है। प्रशासन का मानना है कि बाहरी लोगों के जिला में आने से कानून-व्यवस्था का मसला खड़ा हो सकता है।
अखिलेश यादव ने की तीखी आलोचना
सपा प्रमुख पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सपाइयों को संभल जाने से रोके जाने पर यूपी सरकार की तीखी आलोचना की है। यूपी सरकार की निंदा करते हुए पूर्व सीएम ने योगी सरकार पर प्रशासनिक विफलता का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी अपनी लापरवाही छिपाने का प्रयास कर रही है। सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव ने पोस्ट किया: प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की विफलता है। अगर सरकार दंगा कराने का सपना देखने वालों और लोगों से उन्मादी नारे लगवाने वालों पर पहले ही ऐसा प्रतिबंध लगा देती तो संभल में सौहार्द और शांति का माहौल खराब नहीं होता। पूर्व सीएम ने संभल में लापरवाही और साजिश के लिए पूरे प्रशासनिक तंत्र को सस्पेंड करने की मांग की है।
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