सार

रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद लोगों की नाराजगी सामने आ रही है। इसी कड़ी में शंकराचार्य परिषद के द्वारा भी नाराजगी जताई गई है।

लखनऊ: स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा रामचरितमानस को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ ही साधु-संतों के द्वारा भी विरोध किया जा रहा है। इस बीच शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप के द्वारा भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान की कड़ी आलोचना की गई है। उन्होंने मांग की है कि इस कृत्य के बाद राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया जाए।

'सस्ती लोकप्रियता के लिए अपनाया गया हथकंडा'

स्वामी आनंद स्वरूप ने आरोप लगाया कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुछ छंदों का इस्तेमाल करके सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा दिया है। सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए उनके द्वारा यह हथकंडा अपनाया गया है। ऐसा करके एक विशेष वर्ग के वोटरों को लुभाने का प्रयास किया गया है। ज्ञात हो कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को हिंदू धार्मिक पुस्तक रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कुछ चौपाईयों को लेकर निशाना साधते हुए रामचरितमानस पर बैन लगाने की मांग की थी। आरोप लगाया गया था कि रामचरितमानस में एक बड़े वर्ग को अपमानित किया गया है।

स्वामी प्रसाद के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग

इस बयान के बारे में शंकराचार्य परिषद के प्रमुख आनंद स्वरूप ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि मुस्लिम मौलाना भी रामचरितमानस और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का विरोध नहीं करते हैं। सपा नेता की ओर से जिस तरह का अनर्गल बयान दिया गया है उसे योगी सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए। उन पर अंकुश लगाने को लेकर प्रभावी कार्रवाई भी करनी चाहिए। यह शांतिभंग करने का प्रयास किया गया है और इसमें विदेशी ताकतें भी शामिल हैं। ज्ञात हो कि स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से की गई टिप्पणी के बाद तमाम मुस्लिम धर्मगुरुओं की ओर से भी नाराजगी जताई गई थी। वहीं सपा ने इस बयान से किनारा किया था। 

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