सार
उमेश पाल हत्याकांड मामले में विजय चौधरी के एनकाउंटर के बाद पत्नी सुहानी की ओर से कई सवाल उठाए गए हैं। विजय ने तकरीबन दो साल पहले सुहानी से लव मैरिज की थी और उनके घरवाले इस शादी के लिए तैयार नहीं थे।
प्रयागराज: उमेश पाल और संदीप निषाद को पहली गोली मारने वाले शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान को सोमवार को पुलिस ने मार गिराया है। हालांकि विजय की पत्नी के द्वारा इस एनकाउंटर को लेकर तमाम सवाल खड़े किए जा रहे हैं। सोमवार को तीन थानों की फोर्स ने विजय की गोठी गांव में घेर लिया गया तो विजय उर्फ उस्मान ने फायरिंग की। इस बीच सिपाही को गोली लगने के बाद पुलिस ने फायरिंग की और उस्मान को दो गोलियां लगी।
पुलिसकर्मियों को देखते ही उस्मान ने शुरू की फायरिंग
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के अनुसार सोमवार की सुबह उमेश पाल हत्याकांड में शामिल शूटर उस्मान कौंधियारा के गोठी क्षेत्र का ही निवासी है। उसको लेकर मुखबिर से सूचना मिली थी और उसी के बाद तीन थानों की फोर्स ने उस्मान को घेरा और उसे ढेर किया गया। पुलिस का कहना है कि उस्मान ने पुलिसकर्मियों को देखते ही पिस्टल से गोलीबारी शुरू की और इसी के बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। घायल अवस्था में उसे एसआरएन अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित किया गया। विजय के पास से 32 बोर की पिस्टल और कारतूल भी बरामद हुए हैं।
2 साल पहले भागकर की थी शादी, दर्ज हुआ था केस
विजय की पत्नी सुहानी ने बताया कि रविवार की शाम को सात बजे पुलिस ने उसी से पति को बुलवाया। पुलिस पर विश्वास न होते हुए उसने विजय को बुला भी लिया। आखिरकार जिसका डर हुआ वहीं हुआ और पुलिस ने विजय को मार गिराया। विजय की पत्नी सुहानी ने बताया कि उनका पति 24 फरवरी को भी उनके साथ ही था। वह कुछ देर के लिए बाहर गया लेकिन वापस आ गया। इसके बाद भाई के केस को लेकर विजय 26 फरवरी को सतना गया और वहां से भी 2 मार्च को उसकी वापसी हो गई। आपको बता दें कि सुहानी पांडेय और विजय चौधरी ने ही दो साल पहले भागकर शादी की थी। दोनों एक दूसरे को कई साल पहले से पसंद करते थे। हालांकि बिरादरी अलग होने के चलते उनकी शादी नहीं हो पा रही थी। इसी के चलते उन्होंने भागकर शादी की। इसके बाद सुहानी के भाई ने विजय पर अपहरण का मुकदमा दर्ज करवाया। इसके बाद में सुहानी वापस चली गई। कुछ दिन बाद सुहानी फिर विजय के साथ चली गई। इसके बाद से मायके के लोगों ने उनके साथ संबंध खत्म कर दिया। शादी के बाद दोनों गांव में न रहकर घूरपुर में रहने लगे। स्थिति सामान्य होने के बाद दोनों वापस आए। वह सीमेंट एजेंसी में गाड़ी चलाता था। परिवार के लोगों ने इस बात से साफ इंकार किया है कि अतीक गिरोह में शामिल होने की कोई जानकारी नहीं है।
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