उत्तर प्रदेश सरकार ने ई-वाहनों की खरीद पर 440 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने का ऐलान किया है। इससे राज्य में ईवी बिक्री और निवेश बढ़ेगा, विदेशी कंपनियां आकर्षित होंगी और यूपी भारत का सबसे बड़ा ईवी बाजार बनेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के उपयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सरकार ने घोषणा की है कि आने वाले दो वर्षों में राज्य के उपभोक्ताओं को 440 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इस फैसले से यूपी देश का सबसे बड़ा ईवी बाजार बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
ई-वाहन खरीद पर पांच साल तक मिलेगी वित्तीय सहूलियत
सरकार की नई योजना के अनुसार, उपभोक्ताओं को अगले पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से आर्थिक सहायता दी जाएगी। पिछले तीन वर्षों में इस क्षेत्र में केवल 85 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, जबकि अब सरकार 355 करोड़ रुपये अतिरिक्त देने की योजना बना रही है। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम ईवी क्षेत्र में नई गति लाएगा और लोगों को पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
यह भी पढ़ें: मां ने दिवाली पर घर साफ करने को कहा, गुस्सा होकर मोबाइल टॉवर पर चढ़ गई बेटी-VIDEO
देश के ईवी बाजार में यूपी का मजबूत हिस्सा
नीति आयोग की रिपोर्ट-2024 के मुताबिक, भारत में बिकने वाले कुल ई-वाहनों में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है। इस हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए सरकार नए प्रोत्साहन दे रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि सब्सिडी योजना के बाद यह हिस्सा अगले दो वर्षों में 25 से 30 प्रतिशत तक पहुंच सकता है, जिससे राज्य भारत के ईवी बाजार में अग्रणी स्थिति हासिल कर लेगा।
ईवी नीति-2022 को मिला विस्तार, अब दो साल और राहत
उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन एवं गतिशीलता नीति-2022 के तहत पहले तीन वर्षों तक सभी ई-वाहनों पर 100 प्रतिशत रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क माफ था। यह प्रावधान 13 अक्टूबर 2025 तक वैध था। अब सरकार ने इस राहत को चौथे और पांचवें वर्ष के लिए भी जारी रखने का निर्णय लिया है। महत्वपूर्ण यह है कि अब यह छूट केवल यूपी में निर्मित वाहनों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों पर भी लागू होगी।
विदेशी निवेशकों की नजर यूपी पर
राज्य सरकार ने Invest UP प्लेटफॉर्म के माध्यम से ईवी विनिर्माण इकाइयों को आकर्षित करने की नई रणनीति तैयार की है। जापान और जर्मनी की प्रमुख कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में ईवी और कंपोनेंट निर्माण इकाइयां लगाने में गहरी रुचि दिखाई है। इन कंपनियों की योजना राज्य में स्मार्ट और हाइब्रिड ईवी उत्पादन केंद्र, बैटरी तकनीक, और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की है। इससे न केवल निवेश बढ़ेगा, बल्कि हजारों नए रोजगार अवसर भी उत्पन्न होंगे।
शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों को बढ़ावा
सरकार के अनुसार, इस सब्सिडी का सबसे बड़ा उद्देश्य शून्य उत्सर्जन (Zero Emission) वाहनों को बढ़ावा देना है। उच्च स्तरीय प्राधिकृत समिति ने पाया कि दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ई-वाहनों पर टैक्स छूट दी जा रही है। इसी नीति को आगे बढ़ाते हुए यूपी सरकार ने भी यह वित्तीय प्रोत्साहन अगले दो वर्षों तक जारी रखने का फैसला किया है। इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, बल्कि ईवी इकोसिस्टम को भी मजबूती मिलेगी।
निवेश, रोजगार और पर्यावरण—तीनों में होगा लाभ
विशेषज्ञों का मानना है कि 440 करोड़ रुपये की सब्सिडी से राज्य में ईवी बिक्री में कई गुना वृद्धि हो सकती है। उपभोक्ताओं में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति उत्साह बढ़ेगा और बाजार में नई प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। सरकार का लक्ष्य है कि ईवी निर्माण पर किसी प्रकार की शर्त नहीं रखी जाए, ताकि निवेशकों को स्वतंत्रता मिले और राज्य में औद्योगिक माहौल और बेहतर हो सके।
ईवी हब बनने की राह पर उत्तर प्रदेश
निवेश, रोजगार और पर्यावरण, तीनों मोर्चों पर यह योजना राज्य के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। यदि विदेशी कंपनियों के प्रस्ताव साकार हो गए तो अगले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश भारत का प्रमुख ईवी हब बन सकता है। सरकार के अनुसार, यह पहल न केवल हरित ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि आने वाले समय में राज्य की आर्थिक प्रगति का भी नया अध्याय लिखेगी।
यह भी पढ़ें: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पहली बार मनाई जाएगी दिवाली, 2100 दीपों से सजेगा कैंपस
