सार
लखनऊ, 1 जनवरी 2025: बिजली कर्मी बुधवार को पूर्वांचल और दक्षिणांचल में बिजली निजीकरण के खिलाफ काला दिवस मनाएंगे। इस विरोध में कर्मी अपने बांह पर काली पट्टी बांधकर काम करेंगे, और उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के खिलाफ अपनी आवाज उठाएंगे।
नए साल के पहले दिन काला दिवस
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में, प्रदेश भर के बिजली कर्मी नए साल के पहले दिन काले दिवस के रूप में अपनी विरोध की शुरुआत करेंगे। यह दिन निजीकरण के खिलाफ उनके संघर्ष का प्रतीक बनेगा, जिसमें कर्मी मानव श्रृंखलाएँ बनाएंगे और पॉवर कार्पोरेशन के शीर्ष प्रबंधन का सामाजिक बहिष्कार करेंगे।
समिति के प्रमुख पदाधिकारियों ने बताया कि कर्मी शांति से अपना विरोध दर्ज करेंगे, साथ ही उत्पीड़न की कार्रवाई के खिलाफ भी आवाज़ उठाई जाएगी। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की भी मांग की गई है। समिति के अधिकारियों ने यह भी बताया कि पांच जनवरी को प्रयागराज में बिजली पंचायत आयोजित की जाएगी।
बिजली कर्मियों ने देशव्यापी एकजुटता दिखाई
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स ने देशभर में एकजुटता दिखाई, और 31 दिसंबर को एक घंटे का कार्य बहिष्कार किया। इस कार्यवाही में उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ और राजस्थान के कर्मचारियों ने निजीकरण के फैसले के खिलाफ अपनी एकजुटता व्यक्त की।
आरक्षण पर खतरे की घड़ी, पदोन्नति में भेदभाव का आरोप
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी निजीकरण और आरक्षण के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई। कर्मियों ने बताया कि पहले पदोन्नति में आरक्षण का हक छीना गया और अब पीपीपी मॉडल के तहत अभियंताओं के पदों को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। इसके विरोध में पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन होंगे, लेकिन उपभोक्ताओं के हितों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
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