योगी सरकार ने समाज कल्याण विभाग में बड़ा एक्शन लिया है। दशकों पुराने घोटालों की फाइलें खुलीं तो करोड़ों की हेराफेरी सामने आई। कई अफसर बर्खास्त, वसूली और एफआईआर के आदेश जारी। सीएम योगी ने कहा- भ्रष्टाचार पर प्रहार जारी रहेगा।

जो योजनाएं गरीबों की जिंदगी बदलने के लिए बनीं, वहीं कुछ अफसरों ने उन्हें अपनी जेब भरने का जरिया बना लिया। लेकिन अब सीएम योगी के ‘जीरो टॉलरेंस’ फॉर्मूले के आगे भ्रष्टाचार के ये किले ढहने लगे हैं। समाज कल्याण विभाग में सालों से दबे घोटालों की फाइलें खुलीं तो करोड़ों की हेराफेरी का खेल सामने आया। मुख्यमंत्री के आदेश पर बड़े पैमाने पर बर्खास्तगी, वसूली और एफआईआर की तैयारी चल रही है।

दशकों पुराने घोटाले बेनकाब, करोड़ों की वसूली शुरू

इन कार्रवाइयों ने उन फाइलों की धूल झाड़ी है, जिनमें करोड़ों रुपये के गबन के निशान दर्ज थे। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इन बर्खास्तगियों को मंजूरी दे दी है, जबकि विभाग ने सभी दोषी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कहा कि सीएम योगी के नेतृत्व में “भ्रष्टाचार पर निरंतर प्रहार जारी रहेगा” और अब दबी हुई फाइलों में भी न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।

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कैसे उड़ाए गए गरीबों के हक के करोड़ों रुपये

जांच में सामने आया कि अधिकारियों ने छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति, पेंशन योजनाओं और गरीब कल्याण स्कीमों में भारी फर्जीवाड़ा किया। फर्जी नाम, झूठे खाते और गैर-मौजूद संस्थान बनाकर सरकारी धन को अपने खातों में पहुंचाया गया। कुल 27 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितताएं सामने आई हैं, जिनकी वसूली के आदेश दिए गए हैं।

बर्खास्त अफसरों की सूची, किसने कितना लूटा

  • मीना श्रीवास्तव (तत्कालीन श्रावस्ती जिला समाज कल्याण अधिकारी): 2008–2012 के दौरान मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना, शादी-बीमारी योजना और छात्रवृत्ति में फर्जी आवेदन पास कर धनराशि हड़पने का मामला। अब बर्खास्तगी के साथ-साथ रकम की वसूली का आदेश।
  • करुणेश त्रिपाठी (तत्कालीन मथुरा अधिकारी) : 11 मान्यताविहीन आईटीआई को छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में 2.53 करोड़ रुपये का भुगतान। फर्जी छात्रों की लिस्ट तक बनाई गई। अब 19.25 करोड़ रुपये की वसूली के आदेश जारी।
  • संजय कुमार ब्यास (तत्कालीन हापुड़ अधिकारी) : 2.74 करोड़ की छात्रवृत्ति सीधे छात्रों को देने के बजाय संस्थाओं के खातों में भेजी। अब 3.23 करोड़ की वसूली तय।
  • राजेश कुमार (तत्कालीन शाहजहांपुर अधिकारी): अपात्रों को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ देकर 2.52 करोड़ रुपये का गबन। सरकार ने पूरी राशि की वसूली का आदेश दिया।

रिटायर्ड अफसर भी नहीं बचे, पेंशन से होगी कटौती

  • श्रीभगवान (तत्कालीन औरेया अधिकारी) – 251 लाभार्थियों के खाते बदलकर 33 लाख रुपये गलत खातों में ट्रांसफर। अब 20 लाख की वसूली और पेंशन में 10% स्थायी कटौती।
  • विनोद शंकर तिवारी (तत्कालीन मथुरा अधिकारी) – फर्जी छात्रों को छात्रवृत्ति देकर 1.96 करोड़ की वसूली और 50% पेंशन कटौती का आदेश।
  • उमा शंकर शर्मा (तत्कालीन मथुरा अधिकारी) – 5526 फर्जी छात्रों को भुगतान का दोषी पाया गया। अब 88.94 लाख की वसूली और पेंशन में 50% कटौती तय।

भ्रष्टाचार पर सरकार का अगला कदम: ‘पुरानी फाइलें फिर खुलेंगी’

इन मामलों ने यह साबित कर दिया है कि योगी सरकार केवल दिखावे की नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की राजनीति कर रही है। मंत्री असीम अरुण ने कहा, “जो फाइलें अब तक दबी हुई थीं, उन्हें भी खोला जा रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ यह लड़ाई अब बिना ब्रेक चलेगी।”

प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि समाज कल्याण विभाग की फाइलों से पुरानी गड़बड़ियों को उजागर करना पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम है। इससे साफ संदेश गया है कि योगी सरकार के शासन में भ्रष्टाचार चाहे कितना भी पुराना क्यों न हो, अब बचना मुश्किल है।

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