सार
उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण निदेशालय ने इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (आई फॉरेस्ट) के साथ एमओयू किया।
I-forest and Environment directorate MoU: पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण निदेशालय ने इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (आई फॉरेस्ट) के साथ एमओयू किया। इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में सतत विकास को बढ़ावा देना और प्रदूषण की समस्या का निवारण करना है। गुरुवार को पर्यावरण निदेशालय कार्यालय में पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना, राज्यमंत्री के.पी. मलिक, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह आदि की मौजूदगी में यह एमओयू हुआ।
वायु प्रदूषण नियंत्रण, कचरा प्रबंधन व जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान उद्देश्य
तीन वर्षीय यह एमओयू प्रमुख पर्यावरणीय चुनौतियों पर केंद्रित होगा, जिसमें वायु प्रदूषण नियंत्रण, कचरा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए समाधान विकसित करना शामिल है। यह उत्तर प्रदेश में हरित ऊर्जा, उद्योगों और शहरों के सतत् विकास को प्रोत्साहित करेगा। इस समझौते के तहत आई फॉरेस्ट शोध आधारित अनुसंधान व प्रशिक्षण कार्यक्रम कराएगा। साथ ही सरकारी योजनाओं को लागू करने में पर्यावरण निदेशालय का सहयोग करेगा। यह साझेदारी पर्यावरण संरक्षण में धार्मिक संस्थानों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देगी। इस पहल की शुरुआत महाकुंभ 2025 के दौरान हुई, जहां दोनों पक्षों ने संयुक्त रूप से प्रथम कुंभ की आस्था और जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का आयोजन किया।
तकनीकों व समाधानों का होगा अन्वेषण
वन व पर्यावरण मंत्री डॉ अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि उत्तर प्रदेश अद्वितीय और जटिल पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमारी सरकार वायु गुणवत्ता में सुधार, औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल में अग्रणी रही है। इस साझेदारी के माध्यम से हम नई तकनीकों और समाधानों का अन्वेषण करेंगे, ताकि प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सके।
चुनौतियों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा यह MoU
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने विज्ञान और अनुसंधान आधारित समाधानों की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने के लिए अत्याधुनिक शोध और ज्ञान का विकास जरूरी है। उम्मीद है कि पर्यावरण निदेशालय और आई फॉरेस्ट के बीच यह एमओयू वायु प्रदूषण, कचरा प्रबंधन और नदी प्रदूषण जैसी चुनौतियों के लिए ज्ञान आधारित समाधान प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जलवायु नीतियों को सुदृढ़ करने में सहायक होगा
विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने कहा कि यह सहयोग वायु प्रदूषण प्रबंधन, हरित उद्योगों के विकास, हीटवेव जैसी जलवायु चुनौतियों के लिए शहरों की तैयारी और जलवायु नीतियों को सुदृढ़ करने में सहायक होगा। आई फॉरेस्ट तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा, पायलट परियोजनाएं संचालित करेगा, हितधारकों का प्रशिक्षण करेगा और पर्यावरण प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए अनुसंधान का समर्थन करेगा। आई फॉरेस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. चंद्रभूषण ने इस साझेदारी की रूपरेखा प्रस्तुत की।
क्या है आई फॉरेस्ट?
इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (आई फॉरेस्ट) स्वतंत्र, गैर-लाभकारी अनुसंधान और नवाचार संगठन है, जो भारत में पर्यावरण और विकास से जुड़ी तात्कालिक चुनौतियों पर कार्य करता है। आई फॉरेस्ट भारत के प्रमुख पर्यावरण अनुसंधान संगठनों में से एक है। यह साक्ष्य-आधारित अनुसंधान, नए ज्ञान और नवाचारात्मक समाधान विकसित करता है। यह हितधारकों के साथ सहभागिता के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने तथा हरित पहल को प्रोत्साहित करने के लिए भी कार्य करता है।