वाराणसी पुलिस ने फर्जी सुपर स्टॉकिस्ट और अवैध ड्रग लाइसेंस के जरिए चल रहे करोड़ों के कफ सिरप रैकेट का भंडाफोड़ किया। दो आरोपित गिरफ्तार, 7 करोड़ से अधिक के अवैध ट्रेड का खुलासा। जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

वाराणसी। शहर की सुबह उस समय भारी हो गई जब कोतवाली पुलिस ने लंबे समय से चल रहे कफ सिरप कांड की परतें एक-एक करके जगजाहिर कर दीं। जिस कारोबार को बाहर से दवा वितरण का सामान्य नेटवर्क माना जा रहा था, उसके भीतर करोड़ों का नशे का धंधा पनप रहा था। पुलिस ने जब फर्जी स्टॉकिस्ट, ओटीपी आधारित लेनदेन और एक-एक बोतल पर मिलने वाले कमीशन के धागों को जोड़ना शुरू किया, तो पूरा नेटवर्क एक संगठित तंत्र की तरह सामने आया।

फर्जी सुपर स्टॉकिस्ट का जाल, 1 रुपये प्रति बोतल का कमीशन और 15 महीनों का अवैध कारोबार

कफ सिरप प्रकरण में पुलिस ने बताया कि शुभम जायसवाल नामक व्यक्ति ने फर्जी सुपर स्टॉकिस्ट बनवाने का पूरा तंत्र खड़ा कर रखा था। वह जिन लोगों के नाम पर फर्जी फर्में खुलवाता था, उन्हें प्रति बोतल 1 रुपये का कमीशन देता था। इस तरह आरोपितों को हर महीने 30 से 35 हजार रुपये तक कमाई हो जाती थी

पुलिस जांच में सामने आया कि ये लोग करीब 15 महीनों में लगभग 7 करोड़ रुपये से अधिक का कफ सिरप विक्रय कर चुके थे। ई-वे बिल में दर्ज वाहनों के मालिकों के बयान भी इस अवैध सप्लाई चेन की पुष्टि करते हैं।

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दो बड़े आरोपित गिरफ्तार, लाखों बोतलें और करोड़ों का लेनदेन उजागर

अवैध कोडीन युक्त कफ सिरप की आपूर्ति में शामिल दो प्रमुख आरोपित-

  1. विशाल कुमार जायसवाल 
  2. बादल आर्या

को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस जांच से सामने आया कि-

  • विशाल कुमार के नाम पर संचालित हरि ओम फर्म के माध्यम से 4.18 लाख बोतल की खरीद-फरोख्त हुई, जिसकी कीमत लगभग 5 करोड़ रुपये है।
  • वहीं बादल आर्या की काल भैरव ट्रेडर्स ने रांची स्थित शैली ट्रेडर्स से 1.23 लाख बोतल कफ सिरप 2 करोड़ रुपये में खरीदा था।

कम समय में ज्यादा कमाई का लालच, फर्जी दस्तावेज और ड्रग लाइसेंस की पूरी कहानी

डीसीपी गौरव बंसवाल ने बताया कि दोनों आरोपितों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि डीएसए फार्मा, श्री हरि फार्मा एंड सर्जिकल एजेंसी और शैली ट्रेडर्स के माध्यम से इस पूरे नेटवर्क का निर्माण किया गया था। शुभम जायसवाल और उसके सहयोगियों ने फर्जी दुकानें दिखाकर, जाली दस्तावेज बनवाकर और अवैध तरीके से ड्रग लाइसेंस हासिल करवाकर इन लोगों को इस धंधे में उतारा।

आरोपितों ने बताया कि-

  • पूरा लेनदेन दिवेश जायसवाल के नियंत्रण में था।
  • वही ओटीपी लेकर सभी ट्रांजेक्शन संभालता था।
  • एक वर्ष के भीतर उन्होंने लगभग 7 करोड़ रुपये का अवैध व्यापार किया।

सख्त धाराओं में केस दर्ज, ड्रग्स विभाग की भूमिका पर भी उठे सवाल

डीसीपी बंसवाल ने बताया कि आरोपितों पर डीएनडीपीएस एक्ट, 61(2), 318(2), 338, 336(3), 340(2) बीएनएस, तथा धारा 8/21/29 एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि मामले में अभी कई स्तरों पर जांच जारी है और ड्रग्स विभाग की भूमिका की भी जांच हो रही है। संबंधित विभाग से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी तय होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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