सार

अब कोविड और सार्स के वायरस के जानलेवा विकास को कंट्रोल किया जा सकेगा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के साइंटिस्ट्स ने उसका तोड़ निकाल लिया है। बीएचयू विज्ञान संस्थान के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स के साइंटिस्ट्स ने एक ऐसे अणु की खोज की है…

वाराणसी। अब कोविड और सार्स के वायरस के जानलेवा विकास को कंट्रोल किया जा सकेगा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के साइंटिस्ट्स ने उसका तोड़ निकाल लिया है। बीएचयू विज्ञान संस्थान के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स के साइंटिस्ट्स ने एक ऐसे अणु की खोज की है, जो इसका विकास रोक सकेगा। 'सोम्निफेरिसिन फाइटो' नाम का अणु इन घातक वायरस से निपटने में मददगार साबित हो सकता है। इस खोज को पेटेंट भी कराया गया है।

इन शोधकर्ताओं को मिली सफलता

कोविड और सार्स जैसे घातक वायरस के विकास को रोकने के मैकेनिज्म की खोज बड़ी सफलता माना जा रहा है। प्रो. परिमल दास, नेहा, प्रशांत रंजन, चंद्रा देवी, प्रशस्ति यादव, डॉ. गरिमा जैन और डॉ. चंदना बसु मलिक के अलावा डॉ. भाग्यलक्ष्मी महापात्रा उन शोधकर्ताओं में शामिल हैं। जिन्होंने जानलेवा वायरस का विकास रोकने की प्रणाली विकसित की है। 'सोम्निफेरिसिन फाइटो' अणु के जरिए इन वायरस की वृद्धि को रोका जा सकेगा।

टीम में शामिल थे ये स्पेशियलिस्ट

इस खोज से इन जानलेवा वायरस से बचाव व इलाज के नये रास्ते खुलने की उम्मीद जताई जा रही है। शोधकर्ताओं की टीम लंबे समय से इस प्रणाली की खोज में लगी थी। टीम में फार्माकोलॉजी, वायरोलॉजी और आणविक जीव विज्ञान के स्पेशियलिस्ट भी शामिल थे। अणु का पेटेंट होने पर प्रो. परिमल दास ने खुशी जताई है। टीम के समर्पण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं ने हार्ड वर्क कर यह सफलता हासिल की है।

खोज से नई संभावनाओं के रास्ते खुले

प्रो. दास के अनुसार, 'सोम्निफेरिसिन फाइटो' अणु की खोज से उन संभावनाओं के द्वार खुले हैं। जिससे एंटीवायरल थेरेपी के विकास और सार्स-कोविड वायरस के खिलाफ निवारक उपायों के रास्ते खुलते हैं। पेटेंट होने के बाद शोधकर्ताओं की टीम उत्साहित है। टीम अब 'सोम्निफेरिसिन फाइटो' अणु विकास अवरोधक के संभावित परीक्षणों को करेगी। फार्मा कंपनियों व संगठनों के साथ सहयोग को भी टीम तैयार है।