सार
तमिलनाडु की 234 विधानसभा सीटों के लिए 6 अप्रैल को एक ही चरण में वोटिंग होगी। इससे पहले यहां की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कभी पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की करीबी रहीं शशिकला का नाम वोटर लिस्ट से गायब हो गया है। इसे लेकर उन्होंने AIADMK पर आरोप लगाया है।
चेन्नई, तमिलनाडु. कभी तमिलनाडु की राजनीति में खासा दखल रखने वालीं शशिकला का समय अभी ठीक नहीं चल रहा है। तमिलनाडु की 234 विधानसभा सीटों के लिए 6 अप्रैल को एक ही चरण में वोटिंग होगी। इससे पहले यहां की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कभी पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की करीबी रहीं शशिकला का नाम वोटर लिस्ट से गायब हो गया है। इसे लेकर उन्होंने AIADMK पर आरोप लगाया है।
जानें इसकी वजह...
शशिकला जेल जाने से पहले तक पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के साथ उनके पोएस गार्डन आवास में रहती थीं। यह घर सरकार ने अधिग्रहण में ले लिया है। यहां एक म्यूजियम बन गया है। लिहाजा, शशिकला के पास कोई निवास नहीं होने से उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया। हालांकि वोटर लिस्ट से नाम हटने पर शशिकला ने कहा कि ये उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। पोएस गार्डन थाउसंड लाइट्स विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां से भाजपा की खुशबू सुंदर उम्मीदवार हैं। भाजपा का यहां AIADMK से गठबंधन है। शशिकला AIADMK पर साजिश का आरोप लगा रही हैं।
शशिकला की कहानी..
तमिलनाडु की राजनीति में इस समय शशिकला (Sasikala) के की चर्चा बनी हुई है। तमिलनाडु में चिनम्मा(मौसी) के नाम से लोकप्रिय शशिकला ने हाल में राजनीति से संन्यास ले लिया था। माना जा रहा है कि शशिकला के संन्यास के पीछे भाजपा की चुनावी रणनीति काम कर रही है। अगर शशिकला अगर चुनाव में सक्रिय होतीं, तो वोट बंट सकते थे।
जानें पूरा गणित
अगर शशिकला पूरी ताकत से चुनाव में उतरतीं, तो वे अकेले ही एआईएडीएमके के वोट बैंक यानी 234 सीटों में से 60-70 में विभाजित कर सकती थीं। शशिकला के इस फैसले से सत्तारूढ़ पार्टी को राहत की सांस मिली है। यानी अब एआईएडीएमके विपक्षी दलों से सीधी जंग ले सकता है। एआईएडीएमके से निलंबित हुईं और पूर्व सीएम जयललिता की खास सहयोगी रहीं वीके शशिकला ने एआईएडीएमके के कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर डीएमके को हराने की अपील की है। वे डीएम को दुष्ट शक्तियां मानती हैं। माना जा रहा है कि शशिकला को राजनीति से संन्यास लेने के लिए भाजपा ने ही राजी किया था। यह एक बड़ी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। जब शशिकला को उनकी पुरानी पार्टी AIADMK ने दुबारा लेने से मना किया, तो उन्होंने अन्नाद्रमुक के मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किए थे। बता दें कि भ्रष्टाचार के मामल में 4 साल बेंगलुरु जेल में रहने के बाद शशिकला हाल में रिहा हुई हैं।
थेवर कम्यूनिटी से ताल्लुक रखने वाली शशिकला अगर अपनी पार्टी बना लेतीं, या विरोधी खेमे में शामिल हो जातीं, तो AIADMK को एंटी इनकंबेंसी का नुकसान उठाना पड़ता। ऐसे में शशिकला को भी नुकसान होता। अगर AIADMK सत्ता से बेदखल हो जाती, तो शशिकला का भविष्य धूमिल हो जाता।