सार
BIS के अनुसार, टाइप-सी स्टैंडर्ड होने से स्मार्टफोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिए यह कॉमन चार्जिंग सॉल्यूशन होगा। इससे कस्टमर्स के पास चार्जर्स की संख्या कम होगी और हर डिवाइस के लिए अलग-अलग चार्जर खरीदना भी नहीं पड़ेगा।
टेक डेस्क : अब अलग-अलग गैजेट्स के लिए अलग-अलग चार्जर की जरूरत खत्म हो गई है। सोमवार को भारत सरकार (Indian Government) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए इसकी जरूरत ही खत्म कर दी है। सरकार ने टाइप-सी चार्जिंग (Type C Charger) को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के लिए स्टैंडर्ड बना दिया है। इसका मतलब अब कोई भी मोबाइल हो, लैपटॉप और नोटबुक सभी तरह के गैजेट्स के लिए टाइप-सी ही पोर्ट स्टैंडर्ड रहेगा। आइए जानते हैं इस फैसले के पीछे की वजह...
सरकार के फैसले के पीछे की वजह
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने अपने एक बयान में बताया है कि ई-कचरे को कम करने के उद्देश्य और इस दिशा में बेहतर काम करने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। इससे ई-कचरे को कम कनरे में काफी मदद मिलेगी। बताया गया है कि पहले कस्टमर्स को अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिए अलग-अलग चार्जर रखना होता था। इसमें पैसे भी खर्च होते थे और ई-वेस्ट भी बढ़ता था। इतना ही नहीं इन चार्जर के रख-रखाव में भी काफी परेशानियां होती थी। इसी को देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है।
दिसंबर, 2022 में ही आया था ऑर्डर
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह की तरफ से बताया गया है कि पिछले साल दिसंबर में ही स्टेक होल्डर्स स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप के लिए चार्जिंग पोर्ट के रूप में यूएसबी टाइप-सी को अपनाने की सहमति दी थी। बीआईएस ने भी टाइप सी चार्जर के लिए स्टैंडर्ड को नोटिफाइड किया है। बता दें कि पिछले साल ही टाइप-सी पोर्ट्स को स्टैंडर्ड बनाने का ऑर्डर पास कर दिया गया था। रोहित कुमार सिंह ने बताया कि यूरोपियन यूनियन के 2024 के टाइमलाइन को ही ध्यान में रखते हुए कॉमन चार्जिंग पोर्ट का रोलआउट अलग-अलग फेज में होगा। जिससे इंडस्ट्री और कस्मटर्स के पास पर्याप्त समय रहे।
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