मुखपत्र सामना (Saamana) के संपादकीय में शिवसेना ने साफ किया था कि कांग्रेस को नकार कर देशस्तर पर विपक्ष की बात सोचा तक नहीं जा सकता है। शिवसेना ने सवाल किया था कि अगर यूपीए नहीं है तो एनडीए भी नहीं है लेकिन देश को यूपीए की आवश्यकता है भले ही मोदी को एनडीए की जरूरत न हो।