17 जून, शनिवार को पहले रोहिणी नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम का शुभ योग और इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र होने से वज्र नाम का अशुभ योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि, शूल और गण्ड नाम के 4 अन्य योग भी रहेंगे।
Halharini Amavasya 2023: आषाढ़ मास की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। इसका विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन पितरों की शांति के लिए पूजा-पाठ, श्राद्ध आदि कर्म किए जाते हैं। इस दिन हल की पूजा का महत्व है।
हर महीने में एक बार अमावस्या तिथि आती है। हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि पर स्नान, दान और पितरों की पूजा का विशेष महत्व है। इस बार आषाढ़ मास में 2 अमावस्या (Ashadh Amavasya 2022) का योग बन रहा है।
हिंदू धर्म में कुछ तिथियां बहुत ही खास मानी गई हैं, अमावस्या भी इनमें से एक है। इस तिथि के स्वामी स्वयं पितृ देव है, यही कारण है कि इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि उपाय किए जाते हैं।
इस साल आषाढ़ महीने की अमावस्या तिथि दो दिन यानी 9 और 10 को रहेगी। अमवस्या को धर्म ग्रंथों में पर्व कहा गया है। इस तिथि पर पितरों की विशेष पूजा की जाती है।