कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बाद भी भारत की जीडीपी विकास दर ने लंबी छलांग लगाई है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2023-24 के पहली तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि भारत की चाल सही दिशा में है।
एनएसओ के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। आंकड़े बताते हैं कि प्रतिकूल वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले वित्त वर्ष में शानदार प्रदर्शन किया है।
आरबीआई ने FY24 के लिए जीडीपी के 6.5% की दर से ग्रोथ का अनुमान लगाया था। अंतरराष्ट्रीय संस्था ने बताया कि वित्तीय वर्ष में भारत की रिटेल महंगाई 4.9% रहने की उम्मीद है।
वर्ल्ड बैंक ने 2022-23 में भारत के आर्थिक विकास दर (Economic Growth Rate) के अनुमान को घटा दिया है। विश्व बैंक के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी रह सकता है। पहले उसने ने 8.7 फीसदी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान जताया था।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस बार रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में बदलाव ना करने का फैसला किया है। रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% बरकरार रहेगा। यानी होम लोन, ऑटो लोन या किसी भी तरह का लोन सस्ता नहीं होगा।
सीआईआई (CII) का मानना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है और सबसे अच्छी स्थिति में भी भारत की जीडीपी दर चालू वित्त वर्ष में ज्यादा से ज्यादा 1.5 प्रतिशत रह सकती है
रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश की जीडीपी बढ़त के अनुमान को 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है।आरबीआई ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां और कमजोर पड़ी हैं और उत्पादन की खाई नकारात्मक बनी हुई है।