6 अप्रैल, शनिवार को शनि प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन आनंद, कालदण्ड, शुक्ल और ब्रह्म नाम के 4 शुभ-अशुभ योग बनेंगे। राहुकाल दोपहर सुबह 09:23 से 10:56 तक रहेगा।
Kab Hai Shani Pradosh Vrat April 2024: हिंदू धर्म में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत बनाए गए हैं, शनि प्रदोष भी इनमें से एक है। ये व्रत दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।
Aaj Ka Panchang: 15 जुलाई, शनिवार को प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाएगा। इस दिन मृगशिरा नक्षत्र होने से वज्र नाम का अशुभ योग रहेगा। साथ ही वृद्धि और ध्रुव नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल सुबह 9:13 से 10:53 तक रहेगा।
Sawan Shivratri 2023 Date: वैसे तो पूरा सावन मास ही शिव पूजा के लिए बहुत शुभ माना गया है, लेकिन इस महीने में आने वाली शिवरात्रि बहुत ही खास मानी जाती है। धर्म ग्रंथों के ये व्रत जिस तिथि पर किया जाता है, उसी तिथि पर महादेव लिंग रूप में प्रकट हुए थे।
1 जुलाई, शनिवार को पहले अनुराधा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग और ज्येष्ठा नक्षत्र होने से मूसल नाम का अशुभ योग बन रहा है। इनके अलावा इस दिन शुभ और शुक्ल नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल सुबह 9:09 से 10:50 तक रहेगा।
Shani Pradosh July 2023: जुलाई 2023 के पहले ही दिन यानी 1 तारीख को शिव पूजा का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन शनि प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन और भी कई शुभ योग बनेंगे, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
शनि जयंती इस बार 19 मई, शुक्रवार को है। इस दिन शनिदेव के मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं। वैसे तो हमारे देश में शनिदेव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में तमिलनाडु में स्थित अक्षयपुरीश्वर मंदिर बहुत खास है।
4 मार्च, शनिवार को पहले पुष्य नक्षत्र होने से मित्र और इसके बाद आश्लेषा नक्षत्र होने से मानस नाम के 2 शुभ योग इस दिन बनेंगे। इसके अलावा शोभन और अतिगंड नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल सुबह 9:44 से 11:11 तक रहेगा।
18 फरवरी, शनिवार को पहले उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से चर और इसके बाद श्रवण नक्षत्र होने से सुस्थिर नाम के 2 शुभ योग इस दिन बनेंगे। इनके अलावा व्यातीपात, वरियान और सर्वार्थसिद्धि नाम के 3 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल सुबह 9:51 से 11:16 तक रहेगा।
Shani Pradosh Vrat 2022: भगवान शिव को आदि व अनंत कहा जाता है यानी न तो कोई उनकी उत्पत्ति के बारे में जानता है और न ही कोई उनके अंत के बारे में। महीने में कई व्रत शिवजी को प्रसन्न करने के लिए ही किए जाते हैं। प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है।