फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 1 मार्च, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव का विशेष पूजन किया जाता है। भक्त मंदिरों में दर्शन करते हैं व्रत रखकर मनोकामना पूर्ति के लिए शिवजी से प्रार्थना करते हैं।
इस बार 1 मार्च, मंगलवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाएगा। ये पर्व भगवान शिव से जुड़ा है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे, वहीं कुछ स्थानों पर ये पर्व शिव-पार्वती विवाह से जोड़कर देखा जाता है।
16 अगस्त को सावन (Sawan) मास का अंतिम सोमवार है। ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार, इस दिन अनुराधा नक्षत्र और ब्रह्म योग का विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन कुछ खास उपाय करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
सावन (Sawan 2021) मास का कृष्ण पक्ष समाप्त हो चुका है और शुक्ल पक्ष शुरू हो चुका है। यानी सावन (Sawan 2021) के कुछ दिन शेष हैं। 22 अगस्त, रविवार को रक्षाबंधन (Rakshabandhan 2021) के साथ सावन मास का समापन हो जाएगा। ये महीना शिव भक्ति के लिए प्रसिद्ध है। शिवपुराण (shivpuran) में भगवान शिव की महिमा का वर्णन है। इस महापुराण में मनुष्यों के समाधान के लिए कई छोटे-छोटे उपाय बताए गए हैं। ये उपाय बहुत ही आसान हैं।
सावन (Sawan) में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इनमें से कई शिव मंदिर (Shiv Mandir) बहुत विशेष है। गुजरात (Gujrat) में वड़ोदरा (Vadodara) के निकट एक ऐसा शिव मंदिर है, जो दिन में 2 बार नजरों से ओझल हो जाता है। इसे स्तंभेश्वर महादेव (Stambheshwar Mahadev) कहते हैं। यह मंदिर वडोदरा से 85 किमी दूर स्थित कावी-कंबोई गांव के निकट अरब सागर (Arabian Sea) के बीच कैम्बे तट पर स्थित है। इसलिए ज्वार के समय शिवलिंग (Shivling) पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है और मंदिर तक कोई नहीं पहुंच सकता।
धर्म ग्रंथों में मेहमान के महत्व के बारे में कई बातें बताई गई हैं। घर आए मेहमान को भगवान के समान माना जाता है। हिंदू धर्म में भगवान के हवन या कई त्यौहारों पर घर आए अतिथियों को भोजन कराने का महत्व है।
भगवान विष्णु को हर चित्र व मूर्ति में सुदर्शन चक्र धारण किए दिखाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं यह चक्र भगवान विष्णु को किसने और क्यों दिया था। इससे संबंधित कथा का वर्णन शिवपुराण की कोटिरुद्र संहिता में मिलता है-
भगवान शिव की महिमा का वर्णन अनेक ग्रंथों में किया गया है, लेकिन शिवपुराण उन सभी ग्रंथों में सर्वोच्च है।
भगवान शंकर से संबंधित अनेक धर्मग्रंथ प्रचलित हैं, लेकिन शिवपुराण उन सभी में सबसे अधिक प्रामाणिक माना गया है।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की महेश नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 31 मई, रविवार को है।