सार

बोकारो स्टील सिटी का निर्माण रूस के सहयोग से हुआ था, इसी वजह से वहां बर्लिन युद्ध से जुड़ी एक ऐतिहासिक मूर्ति की प्रतिकृति स्थापित है। यह मूर्ति भारत-रूस मैत्री का प्रतीक है।

वायरल न्यूज । ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 ( BRICS Summit 2024 ) इस समय सुर्खियों में है, पीएम नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रूस के कज़ान पहुंचे हैं। भारत और रूस के बीच क्लोज फ्रेंडशिप रही है। लेकिन इसका इतिहास बहुत पुराना है। भारत और रूस दोनों ही जगह इसकी मिसाल देखने को मिलती है। झारखंड के बोकारो शहर में बर्लिन युद्ध के समय का ऐतिहासिक स्मारक प्रतिकृति के रूप मौजूद है । सवाल ये उठता है कि यह स्टेच्यू बोकारो में क्यों स्थापित की गया, तो इसकी भी एक कहानी है।
बोकारो में स्थित रूसी सैनिक की बहादुरी बताता स्टेच्यू

स्टील सिटी के नाम से मशहूर बोकारो में भारत-रूस रिलेशनशिप की पूरी हिस्ट्री देखने को मिलती है। दरअसल रूस ने बोकारो स्टील सिटी को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसकी मिसाल यहां पर मौजूद है। बोकारो के सेक्टर 4 में, एक रूसी क्लब है, जहां बेहद प्राचीन स्टेच्यू है जो भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंधों के साथ-साथ बोकारो स्टील प्लांट की फाउंडेशन का भी प्रूफ देता है। यह मूर्ति निकोलाई मास्लोव नाम के एक रूसी सैनिक की है, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में बर्लिन की अंतिम लड़ाई के दौरान वीरतापूर्वक एक जर्मन लड़की की जान बचाई थी।

बर्लिन के स्टेच्यु से बोकारो का कनेक्शन

इतिहासकार की मानें तो रूसी कलाकार येवगेनी वुचेटिच ने इस घटना से इंस्पायर होकर 1946 में एक स्टेच्यु बनाया था। जो अब बर्लिन के ट्रेप्टोवर पार्क में स्थित है। प्रतिमा में एक सोवियत सैनिक को एक हाथ में तलवार से नाज़ी स्वास्तिक को काटते हुए और दूसरे हाथ से एक लड़की को पकड़े हुए दिखाया गया है। असली मूर्ति बर्लिन में है, लेकिन इसकी एक प्रतिकृति बोकारो में स्थापित की गई, जो भारत और रूस के बीच दोस्ती की गहराई को दर्शाती है।

बोकारो के निर्माण में रूस की भूमिका

बोकारो के इतिहासविद और इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी के सीनियर मेंबर डॉ. जीत पांडे ने हाल ही में इस स्टेच्यु की इम्पोर्टेंस के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि भारत और रूस के बीच मजबूत राजनयिक और आर्थिक संबंधों के बीच ये स्टेच्यु एक मिसाल तरह है। तत्कालीन सोवियत संघ ने बोकारो स्टील प्लांट के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई और यह प्रतिमा उस समय दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों की याद दिलाती है।