सार

कैलिफ़ोर्निया में एक बच्ची की लाडली बकरी की नीलामी कर दी गई, जिसे बाद में खा लिया गया. इससे आहत बच्ची को कोर्ट ने 2.5 करोड़ रुपये मुआवज़े के तौर पर दिए.

बच्ची ने प्यार से एक बकरी पाली थी. उसे नीलामी में ऊँचे दामों पर बेच दिया गया था. इस बकरी को खरीदकर खाने वाले अधिकारियों को 2 साल बाद अब पेट में दर्द शुरू हो गया है. वजह, इस बकरी को नीलाम करके, पकाकर खाने के जुर्म में 2.5 करोड़ रुपये मुआवज़े के तौर पर बच्ची को देने का कोर्ट ने आदेश दिया है. यह घटना कैलिफ़ोर्निया के शास्ता ज़िले में घटी है. लेकिन एक बकरी इतनी महँगी पड़ेगी, यह अधिकारियों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा.

जेसिका लैंड अपनी बेटी को डेयरी, खेती-बाड़ी के बारे में सिखाने और प्रैक्टिकली समझाने के लिए एक बकरी का बच्चा लाई थीं. जीवन का पाठ पढ़ाने के लिए लाई गई बकरी बच्ची की लाडली बन गई. इस बकरी का नाम सीडर रखा गया था. प्यार से पाली गई बकरी हृष्ट-पुष्ट होकर बड़ी हुई. इस बकरी पर पूरे गाँव की नज़र थी.

2022 में शास्ता ज़िले में सरकारी मदद से एक नीलामी का आयोजन हुआ था. स्थानीय अधिकारी ने सीधे बच्ची द्वारा पाली गई बकरी को नीलामी में रखने का आदेश दिया. इसके लिए 11 साल की बच्ची और उसकी माँ जेसिका ने बहुत मिन्नतें कीं. प्यार से पाली गई बकरी को नीलामी से बाहर रखने की गुहार लगाई. लेकिन स्थानीय अधिकारी के आदेश के कारण कर्मचारी आकर बकरी को खींचकर ले गए.

उधर बकरी के लिए बच्ची और माँ रोती-बिलखती रहीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. नीलामी से पहले बच्ची ने अपनी पाली हुई बकरी को वापस देने की गुहार लगाई. सारी कोशिशें नाकाम रहीं. इधर नीलामी में बकरी 902 अमेरिकी डॉलर में बिक गई. उधर बकरी खरीदने वालों से बच्ची ने बकरी को वापस देने की विनती की. लेकिन यह कोशिश भी नाकाम रही.

उस वक़्त बकरी की नीलामी करवाने वाले अधिकारी फूले नहीं समा रहे थे. इधर खरीदते ही बकरी का खाना बन गया. इस घटना ने बच्ची के मन को गहरा सदमा पहुँचाया. बकरी अब नहीं रही, यह बात बच्ची को हज़म नहीं हुई. इससे बच्ची मानसिक रूप से टूट गई. इधर गुस्से में बच्ची की माँ कोर्ट पहुँच गईं. पिछले दो साल से लगातार क़ानूनी लड़ाई लड़ रही बच्ची की माँ को जीत मिली.

वजह, कोर्ट कुछ आदेश दे, इससे पहले ही अधिकारी मुआवज़ा देने को तैयार हो गए. इसके तहत 2.5 करोड़ रुपये बच्ची को मुआवज़े के तौर पर देने का आदेश दिया गया. अब अधिकारियों ने भारी-भरकम रक़म जुर्माने के तौर पर बच्ची के नाम पर जमा कर दी है. लेकिन बच्ची और उसकी माँ को इस रक़म से कोई खुशी नहीं मिली. बकरी के न होने का ग़म उन्हें सालता जा रहा है. यह क़ानूनी लड़ाई पैसों के लिए नहीं थी, पिछले 2 साल से हम लड़ रहे हैं. यह एक सबक होना चाहिए. बच्चे के मन पर असर डालने वाली यह घटना सभी अधिकारियों के लिए चेतावनी है, ऐसा बच्ची की माँ जेसिका ने कहा है.