Happy Teachers Day 2022: चाणक्य ने अपने पिता आचार्य चणक को मारने वाले मगध सम्राट धनानंद की हत्या जिस तरह कराई, उसने सबको हैरत में डाल दिया था। उन्होंने बेहद शांति से काम लिया और लंबे समय तक प्रतीक्षा की।

ट्रेंडिंग डेस्क। Happy Teachers Day 2022: शिक्षा को आज व्यवसाय बना दिया गया है। इसका दायरा काफी बढ़ा है, मगर एक समय था, जब शिक्षा देना और उसे ग्रहण करना, दोनों को बेहद पवित्र माना जाता था। शिक्षक दिवस हर साल पांच सितंबर को डॉ सर्वपल्ली राधानकृष्णन की जयंती पर मनाते हैं। इस दिन को हर छात्र बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ मनाता है, क्योंकि वह शिक्षक ही है, जो उसे सामाजिक और किताबी दोनों तरह के ज्ञान से रूबरू कराता है। बहरहाल, आज हम शिक्षक दिवस से ठीक एक दिन पहले भारत के उस शख्स के बारे में बात करेंगे, जो न सिर्फ बेहतरीन शिक्षक था बल्कि, शानदार दार्शनिक भी। 

शिक्षा और शिक्षकों के बदलते स्वरूप के बीच चाणक्य की बात करना जरूरी है, जिन्होंने भारत के नव निर्माण की नींव रखी थी। आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य भी कहते हैं, विष्णु गुप्त भी और वात्सायन भी। उनका जीवन तमाम रहस्यों से भरा पड़ा है। उन्हें महान शिक्षक के तौर पर याद किया जाता है। वह प्राचीन भारत के महान शिक्षक और दार्शनिक थे। वे ऐसे विद्वान थे, जिन्हें सामाजिक, राजनीतिक ज्योतिष और चिकित्सा का महत्वपूर्ण ज्ञान था। 

राजनीतिक ज्ञान और मानव स्वभाव के गूढ़ रहस्यों से परिचित 
आचार्य चाणक्य भारत के मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के सलाहकार और शासन में महामंत्री पद पर थे। हालांकि, स्वभाव से वे बेहद कोमल थे, मगर दुश्मनों के लिए बेहद निर्मम। अपनी जीत के लिए छल-कपट जो भी मौजूद हो, वे सब अपनाते थे। उनकी चर्चा राजनीतिक ज्ञान और मानव स्वभाव के गूढ़ रहस्यों से परिचित होने को लेकर हमेशा होती रही। उनके ज्ञान और नीति आज भी प्रभावी हैं और लोग इस अमल कर सफल होने की कोशिश करते हैं। 

मौत कैसे हुई यह रहस्य आज भी बरकरार 
चाणक्य तंत्र हो या फिर चाणक्य नीति, उनकी बुद्धि और ज्ञान के मार्ग पर आज भी लोग चलना पसंद करते हैं। अपने पिता आचार्य चणक को मारने वाले मगध सम्राट धनानंद की हत्या उन्होंने जिस तरह से कराई, उसने सबको हैरत में डाल दिया था। इसके अलावा, उन्होंने बेहद शांति से काम लिया और लंबे समय तक प्रतीक्षा की। हालांकि, उनकी मौत को लेकर अब भी स्पष्ट नहीं है। माना जाता है कि जीवन का लक्ष्य पूरा होने के बाद वे खुद जंगल में चले गए और फिर कभी नहीं लौटे। वहीं, कुछ जगह लिखा गया कि चंद्रगुप्त मौर्य की पत्नी हेलेना ने जहर देकर उनकी हत्या करा दी थी। 

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