सार

एक शख्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर लंबी पोस्ट लिखकर बताया कि जब वह अनजान शहर में गया, तो अजनबी कैब ड्राइवर ने उसके साथ कैसा बर्ताव किया। यूजर्स ने कहा- मानवता अभी भी जिंदा है। 

ट्रेंडिंग डेस्क। दयलुता, करुणा, अच्छी नीयत, लोगों की मदद और सेवा भाव ये सब एकदूसरे से मिलते-जुलते शब्द हैं। अगर आपके मन में इनमें से कोई भी एक भाव है तो इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि आपकी हमेशा जीत होगी। यह खुशी तब और बढ़ जाती है, जब आप यह सब भाव किसी जरूरतमंद अजनबी के साथ प्रदर्शित करते हैं। इससे जुड़ी एक रियल स्टोरी हम आपको इस खबर के जरिए बता रहे है, जब एक युवक अनजान शहर में किसी काम से पहुंचता है। तमाम तरह की परेशानियों के बीच, एक अजनबी शख्स उसकी मदद करता है और यह अजनबी कोई और नहीं बल्कि, एक उबर कैब का ड्राइवर होता है, जिसकी कार में वे सवारी कर रहे होते हैं। 

इस रियल स्टोरी को हर्ष शर्मा नाम के युवक ने अपने लिंक्डइन प्रोफाइल पर शेयर किया है। यह वाकया उनके खुद के साथ कुछ दिन पहले हुआ। हर्ष ने एक लंबी पोस्ट के जरिए बताया कि कैसे वे अनजान शहर में पहुंच गए। वहां अजनबी कैब ड्राइवर ने उन्हें घर जैसा अहसास, परिवार जैसा अहसास कराया और उनके साथ अपने बेटे की तरह व्यवहार किया। हर्ष की इस पोस्ट के हीरो कैब ड्राइवर रवि की लोग खूब तारीफ कर रहे हैं। 

रवि ने कहा- आप सोइए, एक घंटे बाद खाने के लिए जगा दूंगा 
हर्ष ने बताया कि जब वे उस शहर में पहुंचे तो भाषा की परेशानी आई, जिसे कैब ड्राइवर रवि ने महसूस किया। वे अन्य कैब ड्राइवर से अलग थे। आपकी परेशानी को समझते और महसूस कर सकते थे। मेरी हालत और हाव-भाव देखकर वे समझ गए कि मैं बहुत था हुआ हूं सोया नहीं हूं। उन्होंने सीट को कुछ इस तरह सेट किया कि मैं उस कार में आराम से सो सकूं। मेरे सोने से पहले उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैंने कुछ खाया है। जब मेरा जवाब नहीं में था, तब वे थोड़ा निराश दिखे। इसके बाद उन्होंने मुझसे कहा, आप अभी सोइए। करीब एक घंटे बाद मैं अच्छे रेस्त्रां पर कार रोकूंगा, जिससे आप कुछ खा-पी सकें। 

खुद मेनू कार्ड ले आए और बताया कि उस समय क्या खाना ठीक रहेगा 
हुआ भी यही। रवि ने एक घंटे बाद मुझे जगाया और रेस्त्रां के भीतर ले गए। यह सेल्फ सर्विस वाला रेस्त्रां था। यहां काफी भीड़-भाड़ थी, मगर उन्होंने मेरे लिए एक सीट की व्यवस्था कर ही दी, जिस पर पहले से दो लोग बैठे थे। रवि खुद मेनू कार्ड ले आए और खाने से जुड़ी कुछ चीजों की मुझे जानकारी दी और बताया कि उस वक्त मेरे लिए क्या खाना बेहतर होगा। इसके बाद वे अपने लिए और मेरे लिए खाना ले आए। हम चारों ने (पहले से टेबल पर बैठे दो लोग, मैं और रवि) एकसाथ ही एक टेबल पर खाना खाया। 

रवि का व्यवहार जीवनभर के लिए अमिट छाप बन गया 
हर्ष ने पोस्ट में फोटो शेयर करते हुए लिखा, इस फोटो में आप जिसे देख रहे हैं, कुछ देर पहले तक मैं इन्हें जानता भी नहीं था। ये न तो मेरे रिश्तेदार हैं और न ही मेरे दोस्त। मेरे परिवार से भी नहीं जुड़े हैं। मगर भाषा, थकान और भूख जैसी मेरी परेशानियों को जानने के बाद इन्होंने मेरा ख्याल रखा और करीबी जैसा अहसास कराया। करीब 50 की उम्र के ये शख्स मेरा अपने बेटे की तरह ख्याल रख रहे और इनका यह व्यवहार मेरे लिए जीवनभर की अमिट छाप बन गया है। मैं खुद को यहां इतना अच्छा महसूस कर रहा हूं कि अब सोचने को मजबूर हूं कि इस तेज भागती-दौड़ती लाइफ में हमने मानवता को कहीं पीछे छोड़ दिया है। मगर रवि जैसे अब भी कुछ लोग मौजूद हैं, जो मानवता के जिंदा होने का अहसास कराते रहते हैं। 

जहां भी जाएं, एकदूसरे की मदद करते रहें 
यूजर्स ने भी हर्ष और रवि की मुलाकात को काफी पसंद किया और रवि के व्यवहार की सराहना करते हुए उनकी तारीफ की है। एक यूजर ने कमेंट बॉक्स में लिखा, यह बहुत अच्छा और अप्रत्याशित था। बदलते समय के साथ दूसरों को प्यार देना, सेवा करना और दया दिखाना अब दुर्लभ हो चुका है, मगर रवि जैसे लोगों ने इसे जिंदा रखा हुआ है। एक अन्य यूजर ने कमेंट किया, यह बहुत अच्छा है। हम जहां भी जाएं, एकदूसरे की मदद कर सकते हैं और अपने आसपास के लोगों के प्रति कुछ मानवता दिखा सकते हैं। हर किसी से सीखने के लिए बहुत कुछ है। आपने जो अनुभव किया वह मुझे पसंद आया। 

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