सार

भारत के मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पॉलिटिक्स में आने के संकेत दे दिए हैं। गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीके ने कहा कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती हैं और वो इसके लिए जल्द ही चंपारण से 3 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू करेंगे। 

नई दिल्ली। पीके के नाम से मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने इस बात की तरफ इशारा किया कि वो भी अब जल्द पॉलिटिक्स में उतरेंगे। हालांकि, उन्होंने अब तक अपनी पार्टी की घोषणा नहीं की है, लेकिन उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार के 30 साल के शासन में बदलाव की जरूरत है और जनता भी यही चाहती है। इस दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि वो बिहार में 3 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा भी जल्द शुरू करेंगे। आखिर कौन हैं प्रशांत किशोर, जिन्होंने राजनीति में आने के संकेत दिए हैं। 

कौन हैं प्रशांत किशोर : 
प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं। भारतीय राजनीति में आने से पहले उन्होंने 8 साल तक संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया है। पीके के नाम से मशहूर हुए प्रशांत किशोर ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम किया है। वो पहली बार तब चर्चा में आए जब 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति तैयार की और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा पूर्ण बहुमत पाने में सफल रही। 

कहां के रहने वाले हैं प्रशांत किशोर : 
प्रशांत किशोर बिहार के रोहतास जिले में स्थित कोनार गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता श्रीकांत पांडे डॉक्टर हैं और उनका ट्रांसफर बक्सर हो गया, जिसके इसके बाद प्रशांत की प्रारंभिक शिक्षा बक्सर में ही हुई। इसके बाद प्रशांत ने हैदराबाद से इंजीनियरिंग की। प्रशांत किशोर ने पब्लिक हेल्थ में पोस्ट ग्रैजुएशन भी किया है। उन्होंने कई साल तक संयुक्त राष्ट्र में काम किया है। प्रशांत किशोर की माता यूपी-बिहार के बॉर्डर में स्थित बलिया की रहने वाली हैं। प्रशांत किशोर की शादी जाह्नवी दास से हुई है, जो गुवाहाटी में डॉक्टर हैं। इनका एक बेटा है। 

नीतीश कुमार से लेकर अमरिंदर तक के लिए किया कैम्पेन : 
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की एकतरफा जीत के बाद प्रशांत किशोर ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार के लिए 2015 में 'नीतीशे कुमार' कैम्पेन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, बंगाल में ममता बनर्जी और पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए भी चुनावी रणनीति बनाने में मदद की। 2015 में नीतीश के लिए कैम्पेन करने के बाद वो 2018 में जेडीयू से जुड़ गए। लेकिन बाद में पीके इससे अलग हो गए। 

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