सार
शनिदेव को धर्म ग्रंथों में न्यायाधीश माना जाता है, जो मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का प्रतिफल उसे देते हैं।
उज्जैन. हिंदू धर्म ग्रंथों में शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है यानी मनुष्य के अच्छे-बुरे सभी कर्मों का प्रतिफल शनिदेव उसे प्रदान करते हैं। यही कारण है कि शनिदेव की साढ़ेसाती या ढय्या में मनुष्य को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, यदि आप पर भी शनि की साढ़ेसाती या ढय्या चल रही है तो नीचे लिखे मंत्र का विधि-विधान से जाप करने से शनिदेव प्रसन्न होंगे और आपके सभी संकट टल सकते हैं।
वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
इस विधि से करें मंत्र का जाप
1. हर शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद लाल कपड़े पर शनिदेव का चित्र स्थापित करें।
2. इसके बाद शनिदेव की पूजा करें और सरसों के तेल का दीपक लगाएं।
3. शनिदेव को नीले रंग के फूल चढ़ाएं और उड़द की दाल की खिचड़ी का भोग लगाएं।
4. इसके बाद कुश का आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से ऊपर लिखे मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के जाप से आपकी हर समस्या दूर हो सकती है।