सार

इस बार 8 फरवरी को शनिवार और पुष्य नक्षत्र होने से शनि-पुष्य का शुभ योग बन रहा है। पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। 

उज्जैन. ज्योतिष के अनुसार, इस नक्षत्र में किए गए उपाय जल्दी ही शुभ फल देते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, शनि पुष्य के शुभ योग में अगर शनिदेव के मंत्रों का जाप विधि-विधान से किया जाए तो जीवन की परेशानियां कुछ कम हो सकती हैं। ये मंत्र और इनकी जाप विधि इस प्रकार है-

1. वैदिक मंत्र
ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:

2. लघु मंत्र
ऊं ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

3. ध्यान मंत्र
इंद्रनीलद्युति: शूली वरदो गृधवाहन:।
बाणबाणासनधर: कर्तव्योर्क सुतस्तथा।।

4. बीज मंत्र
ऊं शं शनैश्चराय नम:।

5. मंत्र
ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:

6. मंत्र
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

जाप विधि
1. शनि पुष्य की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं।
2. सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और नीले फूल चढ़ाएं।
3. इसके बाद रूद्राक्ष की माला से इनमें से किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जप करें।
4. शनिदेव से परेशानियां कम करने के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जाप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।