सार

इस बार 9 नवंबर, शनिवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत विभिन्न वारों के साथ मिलकर शुभ योग बनाता है।

उज्जैन. इस बार ये व्रत शनिवार को होने से शनि प्रदोष का शुभ योग बन रहा है। जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढय्या का प्रभाव है, वे लोग इस दिन पूजा कर शनिदेव की कृपा पा सकते हैं। धर्म शास्त्रों में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्रों की रचना की गई है। उन्हीं में से कुछ मंत्र नीचे दिए गए हैं। शनि प्रदोष पर इनका विधि-विधान से जाप करें तो शनिदेव शीघ्र ही प्रसन्न हो सकते हैं। ये मंत्र इस प्रकार हैं-

1. वैदिक मंत्र
ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:

2. लघु मंत्र
ऊं ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

3. ध्यान मंत्र
इंद्रनीलद्युति: शूली वरदो गृधवाहन:।
बाणबाणासनधर: कर्तव्योर्क सुतस्तथा।।

4. बीज मंत्र
ऊं शं शनैश्चराय नम:।

5. मंत्र
ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:

6. मंत्र
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

जाप विधि
1.
शनि प्रदोष की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं।
2. सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और नीले फूल चढ़ाएं।
3. इसके बाद रूद्राक्ष की माला से इनमें से किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जप करें।
4. शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जाप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।