सार
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2021) कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने बाद नींद से जागते हैं और सृष्टि के संचालन का भार संभालते हैं। इस दिन से शुभ कार्य जैसे विवाह आदि की शुरूआत भी होती है। इस बार ये तिथि 15 नवंबर, सोमवार को है।
उज्जैन. देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2021) पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर कुछ विशेष उपाय करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप विशेष रूप से करना चाहिए। ये भी बहुत सरल उपाय है। धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के अनेक मंत्रों के बारे में बताया गया है। इनमें से कुछ मंत्र बहुत ही आसान हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही मंत्रों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
2. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
3. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
4. ॐ विष्णवे नम:
5. ॐ हूं विष्णवे नम:
6. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
7. लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
8. धन-वैभव एवं संपन्नता का मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
9. सरल मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:
10. विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
मंत्र जाप की विधि
- देवउठनी एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर किसी साफ स्थान पर स्थापित करें। प्रतिमा के सामने कुश (एक प्रकार की घास) का आसन लगाकर बैठ जाएं।
- सबसे पहले भगवान विष्णु को कुंकुम, अबीर, गुलाल चढ़ाएं और फूल माला अर्पित करें। इसके बाद एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं, ध्यान रखें ये दीपक मंत्र जाप के अंत तक जलते रहना चाहिए।
- भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं और तुलसी की माला से इनमें से किसी एक मंत्र का जाप करना प्रारंभ करें। कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें। एक माला में 108 बार मंत्र जाप होता है।
- अपनी इच्छा अनुसार 5 से अधिक माला का जाप भी कर सकते हैं। मंत्र जाप के बाद भगवान की आरती करें और मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करें।
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