सार
भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत किया जाता है, इसे गणेश चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार यह व्रत 15 नवंबर, शुक्रवार को है।
उज्जैन. इस दिन भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने और विशेष मंत्रों का जाप करने से आपकी समस्याएं दूर हो सकती हैं। यह व्रत इस प्रकार करें-
इस विधि से करें व्रत और पूजा
- शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद अपनी इच्छा अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- संकल्प मंत्र के बाद भगवान श्रीगणेश को सिंदूर, फूल, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊं गं गणपतयै नम:) बोलते हुए दूर्वा चढ़ाएं। गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं।
- 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें। पूजा के बाद श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने बाद शाम को चंद्रमा निकलने के बाद स्वयं भोजन करें। संभव हो तो उपवास करें।
- इस व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।
बुध के दोष दूर होते हैं इन मंत्रों से
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, गणेश चतुर्थी व्रत में भगवान श्रीगणेश के मंत्रों का जाप किया जाए तो बुध ग्रह से जुड़े दोष कम हो सकते हैं। ये मंत्र और इनके जाप की विधि इस प्रकार है...
मंत्र
1. श्री गणेशाय नमः
2. ऊँ गं गणपतये नमः
3. ऊँ विघ्नेश्वराय नमः