सार

अप्रैल 2022 के अंतिम 3 दिनों (28, 29 और 30) में व्रत-उत्सवों का सुखद योग बन रहा है। इस संयोग मे शिव पूजा, शनि पूजा और पितृ पूजा करना शुभ फल देने वाला रहेगा। ऐसे संयोग कम बार ही बनता है।

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, अप्रैल के अंतिम 3 दिन में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि का योग बन रहा है। त्रयोदशी पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष (Guru Pradosh 2022) व्रत किया जाता है, वहीं चतुर्दशी तिथि के स्वामी स्वयं महादेव हैं, इस दिन भी शिवजी की पूजा करना शुभ रहता है। अमावस्या (Vaishakh Amavasya 2022) तिथि पर पितरों की पूजा करने से पितृ दोष (Pitra Dosh 2022) दूर होता है। इस बार अमावस्या तिथि शनिवार को होने शनिदेव की पूजा करना भी शुभ रहेगा। आगे जानिए इन व्रत-उत्सवों से जुड़ी खास बातें…

28 अप्रैल को गुरु प्रदोष व्रत
धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार गुरुवार को ये तिथि होने से गुरु प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दिन भर निर्जला व्रत किया जाता है और शाम को भगवान शिव की पूजा की जाती है। शुभ फल पाने के लिए इस तिथि पर शिवलिंग पर बिल्व पत्र और सफेद फूलों की माला चढ़ाना चाहिए। साथ ही मिट्टी के मटके में पानी भरकर शिव मंदिर में दान करें।

29 अप्रैल को शिव चतुर्दशी व्रत
हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि व्रत किया जाता है। ये तिथि भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान शिव के साथ-साथ देवी पार्वती की कृपा भी प्राप्त होती है। इस दिन भगवान शिव को आंकड़े के फूल और देवी पार्वती को श्रृंगार की सामग्री चढ़ाई जाती है। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

30 अप्रैल को शनि अमावस्या
इस दिन वैशाख मास की अमावस्या है। ये तिथि शनिवार को होने से ये शनिश्चरी अमावस्या कहलाएगी। ये तिथि पितरों की तथा वार शनिदेव को समर्पित है। इसलिए शनिश्चरी अमावस्या के शुभ संयोग में पितरों और शनिदेव दोनों को प्रसन्न करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं। पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि करें और शनिदेव की कृपा पाने के लिए दान, जाप आदि करें।

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