सार
इस बार 19 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक मास की पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) है। ये कार्तिक मास की अंतिम दिन होता है। इसके अगले दिन से अगहन मास की शुरूआत होती है। धर्म ग्रंथों में कार्तिक पूर्णिमा को बहुत ही विशेष तिथि माना गया है। इस दिन दीपदान करने की परंपरा है।
उज्जैन. इस बार कार्तिक पूर्णिमा (19 नवंबर, शुक्रवार) पर कृत्तिका नक्षत्र होने से छत्र नाम का शुभ योग भी बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) पर देवी लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और पैसों की कमी कभी नहीं होती। कार्तिक पूर्णिमा पर महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। आगे जानिए कैसे करें महालक्ष्मी स्तुति का पाठ…
इस विधि से करें पाठ
- कार्तिक पूर्णिमा की शाम को स्नान आदि करने के बाद देवी लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति के आगे शुद्ध घी का दीपक जलाएं। देवी को पीले फल व फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन आदि चीजें चढ़ाकर विधिपूर्वक पूजा करें। खीर या पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद देवी महालक्ष्मी स्तुति करें।
देवी महालक्ष्मी स्तुति
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।
विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।
धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।
धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।
मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।
गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।
धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।
जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।
भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।
कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।
आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।
सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।
सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।
साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।
मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।
सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।
शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्य सम्पदाम्।
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