सार
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 1 मार्च, मंगलवार को है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। साथ ही अगर देवी पार्वतती की पूजा भी इस दिन की जाए तो और भी शुभ फल मिल सकते हैं।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार शक्ति के बिना शिव की पूजा करना व्यर्थ है। इसलिए महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) पर सिर्फ भगवान शिव ही की पूजा न करें देवी पार्वती की भी विधि-विधान से पूजा करें। मां पार्वती जी पूजा करने से इंसान को सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। पार्वती माता की कृपा से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। पार्वती माता की कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है। इस दिन खास तौर पर मां पार्वती जी की आरती करनी चाहिए। आगे जानिए देवी पार्वती की पूजा विधि और आरती…
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ऐसे करें देवी पार्वती की पूजा
जो महिलाएं महाशिवारत्रि का व्रत करती हैं, वे निराहार रहती हैं। कुछ महिलाएं ये व्रत निर्जल रहकर करती हैं। व्रत के दूसरे दिन सुबह स्नान के बाद पूजा की जाती है। पूजन के बाद ही महिलाएं अन्न और जल ग्रहण करती हैं। इस व्रत में महिलाएं किसी शिव मंदिर में शिवलिंग के सामने बैठकर गणेशजी, शिवजी और माता पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा में देवी मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए।
मंत्र- गौरी मे प्रीयतां नित्यं अघनाशाय मंगला। सौभाग्यायास्तु ललिता भवानी सर्वसिद्धये।।
अर्थ - गौरी नित्य मुझ पर प्रसन्न रहें, मंगला मेरे पापों का नाश करें। ललिता मुझे सौभाग्य प्रदान करें और भवानी मुझे सब सिद्धियां प्रदान करें।
देवी पार्वती को चढ़ानी चाहिए ये चीजें
- माता पार्वती के लिए सुहाग का सामान जैसे लाल चूड़ियां, लाल चुनरी, कुमकुम आदि चीजें मंदिर में अर्पित करनी चाहिए। बाद में किसी जरूरतमंद सुहागिन को ये चीजें दान भी करनी चाहिए।
- इस दिन घर में भी भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। घर के मंदिर को फूलों से सजाएं।
- एक चौकी पर केले के पत्ते रखकर शिवजी, पार्वती और गणेशजी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। देवी-देवताओं का आह्वान करें। विधिवत पूजन करें। सुहाग का सामान देवी मां को चढ़ाएं।
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मां पार्वती जी आरती
जय पार्वती माता,
जय पार्वती माता
ब्रह्मा सनातन देवी,
शुभ फल की दाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
अरिकुल कंटक नासनि,
निज सेवक त्राता,
जगजननी जगदम्बा,
हरिहर गुण गाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
सिंह को वहान साजे,
कुंडल है साथा,
देव वधू जस गावत,
नृत्य करत ता था ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
सतयुग रूप शील अतिसुंदर,
नाम सती कहलाता,
हेमाचंल घर जन्मी,
सखियाँ संगराता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
शुम्भ निशुम्भ विदारे,
हेमाचंल स्थाता,
सहस्त्र भुजा तनु धरिके,
चक्र लियो हाथा ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
सृष्टि रूप तुही है जननी,
शिव संग रंगराता,
नन्दी भृंगी बीन लही,
सारा जग मदमाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
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