सार
हिंदू धर्म में वैसे तो हर एकादशी का अपना अलग महत्व बताया गया है, लेकिन इन सभी में निर्जला एकादशी का महत्व सबसे अधिक है, क्योंकि इसके नियम बहुत कठिन हैं।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो भी व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत करता है वो पूरे दिन कुछ भी खा-पी नहीं सकता। इस व्रत में पानी पीने की भी मनाही है। ज्येष्ठ मास की गर्मी में बिना पानी पिए रहना बहुत ही दुष्कर होता है। इस बार ये व्रत 10 जून, शुक्रवार को है। निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) पर व्रत और पूजा के साथ-साथ दान करने का भी विशेष महत्व है। एकादशी व्रत में जितना महत्व पूजा का है, उतना ही महत्व पारण का भी है यानी व्रत पूर्ण करना का। क्योंकि बिना पारण के व्रत संपूर्ण नहीं होता। आगे जानिए निर्जला एकादशी व्रत के पारण का समय व अन्य खास बातें…
निर्जला एकादशी व्रत पारण मुहूर्त (Nirjala Ekadashi 2022 Paran Muhurt)
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 10 जून, शुक्रवार की सुबह 07.25 से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 11 जून, शनिवार की सुबह 05.45 तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि आरंभ हो जाएगी। व्रत का पारण 11 जून को सुबह 05.46 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच करना शुभ रहेगा।
निर्जला एकादशी पर दान करें ये चीजें
1. निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ मास में किया जाता है। इस समय भीषण गर्मी पड़ती है। इस दौरान शीतलता प्रदान करने वाली चीजों का दान विशेष रूप से करना चाहिए। सबसे अधिक शीतलता जल से ही मिलती है। इसलिए निर्जला एकादशी पर लोगों के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था करें। कहीं प्याऊ लगवाएं। निर्जला एकादशी पर ठंडा शर्बत, छाछ आदि पिलाने से भी पुण्य फल मिलते हैं।
2. निर्जला एखदाशी पर जरूरतमंद ब्राह्मणों को अन्नदान, छाता दान, बिस्तर दान, वस्त्र दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है। लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ये सभी चीजें नई हों, उपयोग की हुई न हो। धर्म ग्रंथों में ब्राह्मण को ब्रह्मा का ही स्वरूप कहा गया है। योग्य, जरूरतमंद और कर्मकांडी ब्राह्मण को दान की गई चीजों का विशेष फल मिलता है।
3. निर्जला एकादशी पर तुलसी के पौधों का दान करना भी शुभ रहता है। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और हर तरह के संकट दूर होते हैं। लेकिन जिन लोगों को तुलसी का पौधा दान करें उनसे निवेदन करें कि वे इस पौधा का विशेष रूप से ध्यान रखें।
4. निर्जला एकादशी पर किसी मंदिर के अन्नक्षेत्र में अपनी इच्छा अनुसार खाद्य पदार्थ जैसे गेहूं, चावल, दाल, सब्जी, मसाले, तेल आदि का दान करें। इन चीजों का दान करने से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
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