सार
Surya Saptami 2022:धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूर्य एकमात्र ऐसे देवता हैं जो पंचदेवों में भी शामिल हैं और इनकी पूजा ग्रहों के रूप में भी जाती है। सूर्य सप्तमी तिथि के देवता हैं और पौष मास में सूर्यदेव की पूजा का विशे महत्व पुराणों में बताया गया है।
उज्जैन. सूर्यदेव की पूजा से जीवन की परेशानियां कम होती हैं और मान-सम्मान मिलता है, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है। सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता भी कहा जाता है यानी जिन्हें हम अपनी आंखों से देख सकते हैं। प्रतिदिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा हजारों साल पहले ही हमारे पूर्वजों ने बनाई थी, ये परंपरा आज भी जारी है। इस समय पौष मास चल रहा है, इस महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि (Surya Saptami 2022) पर यदि सूर्यदेव की पूजा विधि-विधान से की जाए तो विशेष शुभ रहता है। आगे जानिए किस दिन इस तिथि का संयोग बन रहा है और सूर्य पूजा की विधि…
कब है पौष शुक्ल सप्तमी तिथि? (Surya Saptami 2022 Date)
पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 28 दिसं बर, बुधवार की रात 08:44 से 29 दिसंबर, गुरुवार की शाम 07:17 तक रहेगी। चूंकि सप्तमी तिथि का सूर्योदय 29 दिसंबर को होगा, इसलिए इसी दिन सूर्य सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा और व्रत-पूजा की जाएगी। इस दिन छत्र नाम का शुभ योग भी दिन भर रहेगा।
इस विधि से दें उगते सूरज को अर्घ्य
- 29 दिसंबर, शुक्रवार को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर लें। इस जल में लाल फूल, लाल चंदन, कुंकु्म, चावल और गेहूं के दाने भी डालें।
- इसके बाद पहले उगते हुए सूर्य को प्रणाम करें और ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र बोलते हुए सूर्यदेव को जल अर्पण करें। सूर्यदेव को जल इस प्रकार चढ़ाएं कि वो आपके पैरों की ओर न आए।
- इसके बाद संभव हो तो गायत्री मंत्र या आदित्य हृदय स्तोत्र का भी पाठ करें। अगर इतना समय न हो तो भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप भी कर सकते हैं-
- ऊं सूर्याय नम:
- ऊं भास्कराय नम:
- ऊं रवये नम:
- ऊं मित्राय नम:
- ऊं भानवे नम:
- ऊं खगय नम:
- ऊं पुष्णे नम:
- ऊं मारिचाये नम:
- ऊं आदित्याय नम:
- ऊं सावित्रे नम:
- ऊं आर्काय नम:
- ऊं हिरण्यगर्भाय नम:
- अगर आप सूर्यसप्तमी का व्रत करना चाहते हैं तो एक समय फलाहार कर सकते हैं, लेकिन इसमें नमक का प्रयोग न करें। संभव हो तो जरूरतमंदों को गुड़, गेहूं, गर्म कपड़ों का दान करें।
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