सार
Moryayi Chhath 2022: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मोरयाई छठ का पर्व मनाया जाता है। इसे मोर छठ या कुछ स्थानों पर सूर्य षष्ठी व्रत भी कहते हैं। इस बार यह व्रत 2 सितंबर, शुक्रवार को है।
उज्जैन. इस बार मोरयाई (Moryayi Chhath 2022) छठ का पर्व 2 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस पर्व में सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। देश के अलग-अलग हिस्सों में ये पर्व विभिन्न नामों से साथ मनाया जाता है। कहीं इसे सूर्य षष्ठी कहते हैं तो कहीं लोलार्क षष्ठी। भविष्योत्तर पुराण के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान, सूर्योपासना, जप एवं व्रत विशेष रूप से किया जाता है। इस व्रत में नमक रहित भोजन करने की परंपरा है। इस दिन सूर्यदेव को विशेष अर्घ्य देना चाहिए। आगे जानिए इस दिन कैसे दें सूर्य को अर्घ्य…
इस विधि से दें सूर्यदेव को अर्घ्य
- मोरयाई छठ की सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे में साफ जल भरें और चावल व लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
- जल चढ़ाते समय सूर्य के वरूण रूप का ध्यान करते हुए ऊं रवये नम: मंत्र का जाप करें। इस प्रकार जल चढ़ाने के बाद धूप, दीप से सूर्यदेव की पूजा भी करें। सूर्यदेव की पूजा से सभी प्रकार के शुभ फल आपको मिल सकते हैं।
- संभव हो तो इस दिन सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन का दान करें। इस दिन सूर्यदेव की पूजा के बाद एक समय फलाहार करें, लेकिन बिना नमक का।
ये उपाय करें
1. जिन लोगों की कुंडली में सूर्यदेव अशुभ स्थान पर बैठे हों उन्हें मोरयाई छठ पर किसी योग्य ज्योतिषी से पूछकर माणिक रत्न पहनना चाहिए। इस रत्न के प्रभाव से सूर्य के अशुभ प्रभाव में कमी आ सकती है।
2. मोरयाई छठ पर लाल चंदन की माला से ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। कम से कम 5 माला का जाप करें। इसके अलावा सूर्य के अन्य मंत्रों का जाप भी इस दिन अपनी सुविधा अनुसार किया जा सकता है।
3. सूर्य से संबंधित शुभ फल पाने के लिए मोरयाई छठ पर किसी मंदिर में लाल झंडा दान करें। अगर ऐसा न कर पाएं तो किसी ब्राह्मण को लाल वस्त्रों का दान करें। इससे भी सूर्य से संबंधित शुभ फल मिल सकते हैं।
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