सार

 यूपी के प्रतापगढ़ जिले में जन्मे मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद यूनिवर्स‌िटी से लॉ में स्नातक और एमए की डिग्री की हासिल की है। 1980 में उन्होंने राजनीति में सक्रिय रूप से कदम रखा। वह इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने और जून 1981 से सन 1989 तक महामंत्री पद पर रहे। इसके बाद 1989 से सन 1991 तक यूपी लोकदल के मुख्य सचिव रहे। मौर्य 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश जनता दल के महासचिव पद पर रहे।

लखनऊ: विधानसभा चुनाव (Vidhansabha) आने वाले हैं नेताओ का दल बदलना लगातार जारी है। अस्सी के दशक से राजनीति में सक्रिय स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami prasad Maurya) का दल बदल करना आम बात है।  लगभग 20 साल बसपा में रहने के बाद 2017 विधानसभा चुनाव से पहले ये बीजेपी में शामिल हुए। बीजेपी में शामिल मौर्या ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा था कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष गुंडों और अपराधियों के बल पर शासन करते हैं। अब स्वामी प्रसाद ने अखिलेश का ही दामन थाम लिया है। इस समय यूपी की राजनीति में सपा को मुख्य विपक्षी दल कहा जा रहा है। बता दें कि काफी दिनों से स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी से नाराज चल रहे थे। वो अपने लिए, अपने बेटे के लिए और अपने कई समर्थकों के लिए टिकट मांग रहे थे। खबर है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ कई और विधायक भी बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं।

1980 से सक्रिय हैं स्वामी प्रसाद मौर्य
बता दें कि वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे और अब 2022 विधानसभा चुनाव से पहले वह भाजपा छोड़ सपा का हाथ थाम लिया हैं। यूपी के प्रतापगढ़ जिले में जन्मे मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद यूनिवर्स‌िटी से लॉ में स्नातक और एमए की डिग्री की हासिल की है। 1980 में उन्होंने राजनीति में सक्रिय रूप से कदम रखा। वह इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने और जून 1981 से सन 1989 तक महामंत्री पद पर रहे। इसके बाद 1989 से सन 1991 तक यूपी लोकदल के मुख्य सचिव रहे। मौर्य 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश जनता दल के महासचिव पद पर रहे।

1996 को स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा की सदस्यता ली और प्रदेश महासचिव बने। इसके बाद उन्होंने बसपा के टिकट पर डलमऊ, रायबरेली से विधानसभा सदस्य बने और चार बार विधायक बने। मंत्री ने 2009 में पडरौना विधानसभा उपचुनाव जीता और केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह की मां को हराया। मई 2002 से अगस्त 2003 तक उन्हें मंत्री का दर्जा मिला और अगस्त 2003 से सितंबर 2003 तक नेता प्रतिपक्ष भी रहे। स्वामी प्रसाद मौर्य वर्ष 2007 से 2009 तक मंत्री रहे। जनवरी 2008 में उन्हें बसपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद 2016 में उन्होंने बसपा से बगावत करके भाजपा का हाथ थाम लिया था।

'समाजवादी पार्टी के मुखिया अपराधी गुंडे और उपद्रवियों के बल पर शासन करते हैं' 
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुशीनगर जिला कलक्ट्रेट में आयोजित जिला पंचायत सदस्यों के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने अखिलेश यादव के पुलिस पर दिए हुए बयान को लेकर तीखा हमला किया था।समाजवादी पार्टी के शासनकाल में आतंकवादियों पर से मुकदमा हटाने का प्रयास किया गया था। समाजवादी पार्टी के मुखिया अपराधी गुंडे और उपद्रवियों के बल पर शासन करते हैं। वहीं कुशी नगर में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव के कागजी कार्य को योगी सरकार ने पूरा किया इसलिए अखिलेश यादव को योगी सरकार की सराहना करनी चाहिए। पूर्वांचल को जो तोहफा योगी आदित्यनाथ की सरकार ने दिया उसकी प्रशंसा करनी चाहिए। स्वामी प्रसाद ने कहा कि आशा है अखिलेश यादव को सद्बुद्धि आयेगी। वे अच्छी बात करें और अच्छा काम करें तभी उनका जनाधार बढ़ेगा। जनता की आंख में धूल झोंकेंगे तो ये जनता अब जान चुकी है।

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