सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि बंद कमरे में हुई घटना से समाज में पीड़ित की छवि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्रयागराज (Uttar Pradesh) । एससी-एसटी एक्ट तभी लागू होगा है जब अपराध सार्वजनिक स्थान पर हुआ हो। बंद कमरे में हुई घटना में एससी-एसटी एक्ट की धारा प्रभावी नहीं होती, क्योंकि बंद कमरे में हुई बात कोई बाहरी नहीं सुन पाता। यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बंद कमरे में हुई घटना से समाज में पीड़ित की छवि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
खनन अधिकारी ने लगाई थी इस कारण गुहार
सोनभद्र के केपी ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति आरके गौतम ने दिया है। याची के अधिवक्ता सुनील कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची केपी ठाकुर खनन विभाग के अधिकारी हैं। खनन विभाग के कर्मचारी विनोद कुमार तनया जो इस मामले का शिकायतकर्ता हैं उनके खिलाफ विभागीय जांच लंबित थी। इस सिलसिले में याची ने शिकायतकर्ता को अपने कार्यालय में साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए बुलाया था। शिकायतकर्ता विनोद अपने साथ सहकर्मी एमपी तिवारी को लेकर गया था। याची ने तिवारी को चेंबर के बाहर रुकने को कहा था। इसके बाद विनोद ने केपी ठाकुर के खिलाफ मारपीट, जान से मारने की धमकी व एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवा दिया था।
कोर्ट ने इस मामले में दिया ये फैसला
एफआईआर में घटना का जो वक्त बताया है उस वक्त याची और शिकायतकर्ता चैंबर में ही थे। वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि यदि घटना पब्लिक व्यू में नहीं है तो एससी/ एसटी ऐक्ट की धारा नहीं बनती है। कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए केस से एससी/एसटी एक्ट की धारा रद्द कर दी। हालांकि कोर्ट ने मारपीट, जान से मारने की धमकी व अन्य धाराओं में के तहत मुकदमे की कार्रवाई जारी रखने की छूट दी है।