सार
राममंदिर का निर्माण कार्य लगातार जारी है। इस बीच यहां मार्ग के चौड़ीकरण के दौरान कई दुकानों को पूरी तरह से जमींदोज भी कर दिया गया। इस बीच व्यापारी रोते हुए नजर आए।
अनुराग शुक्ला
अयोध्या: राममंदिर का निर्माण जैसे-जैसे आकार ले रहा श्रद्धालुओं की संख्या में प्रतिदिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए केंद्र और प्रदेश सरकार ने अयोध्या में कई विकास की योजनाओं का खाका खींचा है। कुछ योजनाएं पाइप लाइन में है। तो कुछ धरातल पर दिखने लगी हैं। ।इसी क्रम में अयोध्या के मार्गों को भी चौड़ा किया जा रहा है। श्रद्धालुओं का प्रमुख दबाव वाला रामकोट क्षेत्र है। इस क्षेत्र में श्री राम जन्मभूमि के साथ हनुमानगढ़ी, कनक भवन और दशरथ महल इत्यादि हैं। सूबे की सरकार ने इस मार्ग को चौड़ा करने के लिए लगभग ₹63 करोड़ आवंटित किया है। 782 मीटर लंबे इस मार्ग को भक्ति पथ का नाम दिया गया है।
मार्ग में है प्रसाद और धार्मिक चीजों की लगभग 700 दुकानें
प्रमुख मंदिरों के इस क्षेत्र में लगभग 700 दुकाने हैं। विभिन्न प्रकार के व्यवसाय से जुड़े लोग कई पीढ़ियों से इन दुकानों से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे। मार्ग के चौड़ीकरण के कारण कई दुकानें पूरी तरह जमींदोज हो गई है। तो बहुतों की लंबाई कम हो गई। जिला प्रशासन दुकान के मानक के अनुसार अलग-अलग मुआवजे की धनराशि सब के खाते में भेज भी दी है। लेकिन अयोध्या उद्योग व्यापार मंडल ट्रस्ट के अध्यक्ष नंद कुमार गुप्ता प्रशासन की इस कार्रवाई को वादा खिलाफी का आरोप लगाकर उत्पीड़न करने वाला बताते हैं। उनका कहना है कि बगैर स्थापित किए लगभग 170 दुकानदारों को विस्थापित किया जा रहा है। प्रशासन की कथनी और करनी में फर्क है। पहले जितने मीटर पर दुकानों को तोड़ने की सहमति बनी थी अब जिला प्रशासन उससे ज्यादा मीटर को नाप कर दुकानों को जबरन तोड़ रहा है। मुआवजे की जो धनराशि है वह भी इतनी कम है कि किसी का भी परिवार कुछ माह इस धन राशि से नही चल सकता। उन्होंने कहा पूर्ण रूप से विस्थापित हुए व्यापारियों के सामने बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
हनुमानगढ़ी के सामने गिराई जा रही थी दुकाने रो रहे थे व्यापारी
कई पीढ़ियों से हनुमानगढ़ी के सामने प्रसाद की दुकान करने वाले लोगों के सामने उनकी दुकानें बुलडोजर से गिराई जा रही थी ,और वे उसे अपलक निहार रहे थे। जैसे ही एशिया नेट हिंदी ने उनसे बात करने की कोशिश की वे फफक कर रोने लगे। प्रसाद विक्रेता कन्हैया गुप्ता, बैजनाथ गुप्ता, विनीत गुप्ता, दिलीप गुप्ता, राजेश गुप्ता ,सूरज प्रकाश ,ज्ञान प्रकाश आदि ने बताया कि कई पीढियों से इस छोटी सी दुकान पर प्रसाद बेचने का काम किया गया। इसी से परिवार की जीविका चल थी। जो आज से खत्म हो गई।
उन्होंने कहा होश संभालने के बाद शायद ही कोई दिन ऐसा रहा हो की भोर में हनुमानगढ़ी मंदिर का पट खुलने के बाद दुकान पर मौजूदगी ना रही हो। लेकिन आज की पहली सुबह इस तरह थी कि दुकान को खोलने के लिए नहीं आए। उन्होंने कहा जिला प्रशासन ने मुआवजा इतना नाम मात्र का दिया है कि इससे कुछ माह ही परिवार का पेट भरा जा सकता है ।लेकिन कहीं दुकान खरीद कर व्यवसाय नहीं शुरू किया जा सकता है ।उन्होंने बताया प्रशासन ने स्टेशन रोड पर बन रही दुकानों को देने की बात कही है। लेकिन उसमें अभी समय है और वहां पर भी बिना रुपया दिए दुकान मिल पाना मुश्किल है। समझ में नहीं आ रहा है कि आगे का जीवन कैसे चलेगा।