सार
अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में CBI की कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस मंगलवार को पूरी हो गई।अब CBI की विशेष अदालत को इस मामले में 30 सितंबर तक अपना फैसला सुनाना है।
लखनऊ(Uttar Pradesh). अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में CBI की कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस मंगलवार को पूरी हो गई।अब CBI की विशेष अदालत को इस मामले में 30 सितंबर तक अपना फैसला सुनाना है। 2 सितंबर से अदालत अपना फैसला लिखवाना शुरू करेगी। विशेष जज सुरेंद्र कुमार यादव ने आदेश दिया है कि निर्णय लिखवाने के लिए पत्रावली को उनके सामने पेश किया जाए।
मंगलवार को अदालत के समक्ष बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील मृदुल राकेश ने व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर अपनी मौखिक बहस पूरी की, जबकि वरिष्ठ वकील आईबी सिंह ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए अपने मुवक्किल आरएन श्रीवास्तव की ओर से मौखिक बहस की। उधर, दिल्ली से वकील महिपाल अहलूवालिया ने भी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी की तरफ से मौखिक बहस की। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वकील विमल कुमार श्रीवास्तव, अभिषेक रंजन व केके मिश्रा भी उपस्थित थे। दूसरी ओर सीबीआई की ओर से वकील पी चक्रवर्ती, ललित कुमार सिंह व आरके यादव ने मौखिक बहस की।
49 में से 17 आरोपियों की हो चुकी है मौत
गौरतलब है कि 6 दिंसबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में कुल 49 एफआईआर दर्ज की गई थी। एक एफआईआर फैजाबाद के थाना राम जन्मभूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी। शेष 47 एफआईआर अलग-अलग तारीखों पर अलग-अलग पत्रकारों व फोटोग्राफरों ने भी दर्ज कराए थे। 5 अक्टूबर, 1993 को सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इनमें से 17 की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर तक निर्णय सुनाने का दिया है आदेश
बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक दशा में 30 सितंबर तक अपना निर्णय सुनाने का आदेश सीबीआई की विशेष अदालत को दे रखा है। लिहाजा मंगलवार को इस मामले की आखिरी सुनवाई पूरी होने के बाद मुमकिन है कि अब तय तारीख तक अदालत अपना फैसला सुना देगी। इसके लिए जरूरी कार्यवाहियां शुरू कर दी गई हैं।