सार

हाईकोर्ट द्वारा निकाय चुनाव की अधिसूचना रद्द किए जाने के बाद यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आयोग को 3 महीने में काम पूरा करने के लिए कहा है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। बता दें कि कोर्ट ने 3 महीने देर से निकाय चुनाव कराने की अनुमति दी है। वहीं वित्तीय दायित्वों को लेकर इस बीच जल्द ही अधिसूचना जारी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस दौरान कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला नहीं लिया जा सकता है। तीन महीने के अंदर आयोग अपना काम पूरा करने का प्रयास करे। उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर स्थानीय निकाय चुनाव मामले में सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया था। जिसके बाद मामले की सुनवाई के लिए 4 जनवरी की तारीख तय की गई थी। 

हाईकोर्ट ने रद्द की थी अधिसूचना
बता दें कि नगरीय निकाय चुनावों की अधिसूचना रद्द करने के बाद यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। निकाय चुनावों पर सरकार की मसौदा अधिसूचना को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में रद्द कर दिया था। प्रदेश सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि 5 दिसंबर की मसौदा अधिसूचना को उच्च न्यायालय रद्द नहीं कर सकता है। शहरी निकाय चुनावों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के अलावा ओबीसी के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है। 

5 दिसंबर को जारी की थी आरक्षण की अधिसूचना
वहीं एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड रुचिरा गोयल के जरिए दायर अपील में कहा था कि ओबीसी संवैधानिक रूप से संरक्षित वर्ग है। मसौदा अधिसूचना को रद्द करने में उच्च न्यायालय ने गलती की है। यूपी सरकार ने हाल ही में पांच सदस्यीय आयोग नियुक्त किया है। यह आयोग शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने के लिए सभी मुद्दों पर विचार कर रिपोर्ट तैयार करेंगे। बीते 5 दिसंबर को यूपी सरकार ने निकाय चुनाव के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इस य़ाचिका में कहा गया था कि आरक्षण तय करने में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं किया है।

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