सार
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जब 20 साल के थे तो उन्होंने राजनीति में एंट्री को लेकर सोचा भी नहीं था। उनकी मां और पिता चाहते थे कि वह एमएससी करने के बाद सरकारी नौकरी करें। जबकि उनके बहनोई उन्हें वामपंथी संगठन से जोड़ना चाहते थे।
लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ 50 साल को हो गए हैं। वह जब 20 साल के थे तो न ही उन्होंने सांसद बनने के बारे में सोचा था न ही सीएम। उनके माता-पिता चाहते थे कि वह बीएससी के बाद एमएससी करें और फिर नौकरी। हालांकि कॉलेज टाइम में उनके बहनोई की इच्छा थी कि उनका साला वामपंथी बने। हालांकि इन सब की बातों से इतर वह गुरु अवैद्यनाथ से मिले और वह आज यूपी के मुख्यमंत्री हैं।
कॉलेज में एडमिशन के बाद छात्र राजनीति में हुए एंट्री
दोबारा यूपी के सीएम बनने पर राजनीति में योगी आदित्यनाथ का कद आज और भी बढ़ गया है। हालांकि अजय सिंह बिष्ट से लेकर योगी आदित्यनाथ और यूपी के सीएम बनने तक उनका सफर आसान नहीं था। उनका जन्म 5 जून 1972 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जनपद के पंचूर गांव में हुआ था। उन्होंने आठवीं तक की पढ़ाई पास के ठांगर के प्राइमरी स्कूल से की और 9वीं की पढ़ाई के लिए चमकोटखाल के जनता इंटर कॉलेज का चुनाव किया। इसके बाद वह इंटरमीडियट की पढ़ाई के लिए ऋषिकेश चले गए। यहां भरत मंदिर इंटर कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। यहां से 1989 में उन्होंने कोटद्वार के गर्वनमेंट पीजी कॉलेज में बीएससी में एडमिशन लिया। इसी के साथ वह कॉलेज से छात्र राजनीति में उतर आए।
एबीवीपी ज्वाइन करने के बाद लड़ा निर्दलीय चुनाव
शांतनु गुप्ता अपनी किताब योगीगाथा में लिखते हैं कि अजय बिष्ट की बहन कौशल्या के पति और उनके भाई कोटद्वार के वामपंथी संगठन से जुड़े हुए थे। उन्होंने अजय को वामपंथी संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी एसएफआई से जुड़ने का ऑफर दिया था। हालांकि योगी ने इसे इंकार कर दिया। कॉलेज के दिनों में वह एबीवीपी से जुड़े। अजय बिष्ट ने पहले साल संगठन से जुड़कर प्रचार किया फिर अगले साल चुनाव लड़ना तय किया। उन्होंने संगठन से टिकट मांगा तो संगठन ने अगले साल देने की बात कही। इस पर वह निर्दलीय ही चुनाव लड़ गए और अरुण तिवारी को हरा दिया।
अजय बिष्ट की मां सावित्री देवी चाहती थीं कि वह सरकारी नौकरी ज्वाइन करें। इसके लिए उन्होंने बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं छोड़ी। यहां तक जब उन्होंने संन्यास ले लिया उसके बाद भी माता-पिता उन्हें वापस लाने के लिए गए। हालांकि उन्होंने (योगी आदित्यनाथ) ने इंकार कर दिया।
लगातार पांच बार बने सांसद
योगी आदित्यनाथ पहली बार 1991 में गोरखपुर से सांसद बने। इसके बाद 1999 में उन्होंने फिर से विजय पताका फहराई और 2002 में हिंदू युवा वाहिनी नाम का संगठन बनाया. 2004 में तीसरी बार और 2009 में चौथी बार उन्होंने गोरखपुर सीट पर जीत दर्ज की। 2014 में पांचवी बार वह गोरखपुर सीट से सांसद बने। 2017 में सीएम बनने के बाद उन्होंने विधानपरिषद की सदस्यता ले ली। 2022 के चुनाव में गोरखपुर से ही उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
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