सार
बांदा जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएस) डॉ. संपूर्णानंद मिश्रा ने बताया कि "यह दंपत्ति मंगलवार बांदा आ पाया है। ट्रॉमा सेंटर में प्राथमिक जांच के बाद इन्हें एंबुलेंस से उनके गांव भदावल भेज दिया गया है। जहां ये अपने घर में 14 दिन तक एकांत में रहेंगे।
बांदा ( Uttar Pradesh) । कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए देशभर में लागू लॉक डाउन के कारण गरीबों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। फैक्ट्री अचानक बंद होने पर मालिकों ने भी मजदूरी नहीं दी, जिसके कारण परेशान मजदूर जान जोखिम में डालकर घर के लिए चल पड़े हैं। अब एक हजार 66 किलोमीटर चलकर (गुजरात के सूरत से) रेलवे लाइन और सड़क के रास्ते पति, दो साल के बच्चे साथ सात माह की गर्भवती महिला बांदा पहुंची हैं। हालांकि बांदा से सीएमओ ने इन्हें एंबुलेंस से घर भेजा। साथ ही अपने ही घर में 14 दिन तक एकांत में रहेने की हिदायत दी है।
यह है पूरा मामला
बांदा जिले के कमासिन थाना क्षेत्र के भदावल गांव की रहने वाली महिला महिला अपने पति के साथ गुजरात के सूरत की एक निजी फैक्ट्री में मजदूरी करती थी। दो साल का एक बच्चा भी है। वो सात माह की गर्भवती भी है। बता दें कि बांदा से सूरत की सड़क मार्ग की दूरी 1,066 किलोमीटर है। कोरोना वायरस की वजह से 24 मार्च की शाम अचानक लॉक डाउन की घोषणा के बाद फैक्ट्री मालिक ने सभी मजदूरों को फैक्ट्री से बिना पगार दिए ही निकाल दिया था।
रास्ते में पड़ने वाले गांवों में मिल जाता था खाना
कोई विकल्प न होने पर रेल पटरी के सहारे दो साल के बच्चे को गोद में लेकर हम पैदल ही चल दी। उसने बताया कि रास्ते में गांव तो बहुत मिले, इन्ही गांव वालों ने पीने के लिए पानी और खाने के लिए थोड़ा गुड़ दे देते थे। सफर के दौरान कई बार एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन नहीं मिला।
सीएमओ ने कही ये बातें
बांदा जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएस) डॉ. संपूर्णानंद मिश्रा ने बताया कि "यह दंपत्ति मंगलवार बांदा आ पाया है। ट्रॉमा सेंटर में प्राथमिक जांच के बाद इन्हें एंबुलेंस से उनके गांव भदावल भेज दिया गया है। जहां ये अपने घर में 14 दिन तक एकांत में रहेंगे।
(प्रतीकात्मक फोटो)