सार
दिन में करीब डेढ़ बजे ट्यूशन टीचर गोपाल नगर निवासी हरिओम पहुंचे तो कमरा बंद देखा। खटखटाने पर भी कोई आवाज नहीं आई तो उन्होंने जोर से धक्का देकर दरवाजा खोला और अंदर का नजारा देख हैरान रह गए। गोपाल का शव पलंग के पास औंधे मुंह पड़ा था। पास ही तसले और जमीन पर जले हुए कोयले थे। उनके पैरों के पास नवजात का शव था। पलंग पर पत्नी व बेटी पलक और पलंग के नीचे बेटा अक्षत बेहोश पड़े थे।
कानपुर (उत्तर प्रदेश) । बिधनू के गोपाल नगर में रात कमरे के अंदर गर्मी के लिए कोयला जलाकर सो रहे पिता और नवजात पुत्री की दम घुटने से मौत हो गई, वहीं पत्नी और दो बच्चों की हालत खराब हो गई। इलाज के बाद रिश्तेदार मृतक की पत्नी को घर ले गए, जबकि दोनों बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है, जिनका हैलट अस्पताल में ईलाज चल रहा है।
किराये की रहते थे सभी
निवासी गोपाल दुबे (40) गोपालनगर में कोरियर फर्म चलाने वाले उमेश गुप्ता उर्फ डब्बू के घर की चौथी मंजिल पर परिवार सहित रहता था। 31 दिसंबर की रात वह अपनी पत्नी प्रीति, बेटे अक्षत (12), बेटी पलक (10) और तीन दिन पूर्व पैदा हुई नवजात बेटी के साथ सो रहा था। ठंड होने के कारण कोयला जलाया था।
ऐसे हुई दूसरे दिन जानकारी
1 जनवरी को दिन में करीब डेढ़ बजे ट्यूशन टीचर गोपाल नगर निवासी हरिओम पहुंचे तो कमरा बंद देखा। खटखटाने पर भी कोई आवाज नहीं आई तो उन्होंने जोर से धक्का देकर दरवाजा खोला और अंदर का नजारा देख हैरान रह गए। गोपाल का शव पलंग के पास औंधे मुंह पड़ा था। पास ही तसले और जमीन पर जले हुए कोयले थे। उनके पैरों के पास नवजात का शव था। पलंग पर पत्नी व बेटी पलक और पलंग के नीचे बेटा अक्षत बेहोश पड़े थे।
हालात सुधरने पर घर ले गए रिश्तेदार
हरिओम ने शोर मचाकर मकान मालिक व बाकी किरायेदारों को सूचना दी। मकान मालिक ने लोगों की मदद से गोपाल व उनके पूरे परिवार को तुरंत कांशीराम अस्पताल पहुंचाया। जहां गोपाल व नवजात बच्ची को मृत घोषित कर दिया गया। देर शाम हालत गंभीर देख दोनों बच्चों को हैलट अस्पताल रेफर किया गया। इधर प्रीति की हालत में सुधार होने पर रिश्तेदार घर ले गए।
जांच में यह बात आई सामने
जांच में यह बात सामने आई कि गोपाल को उनके पिता के निधन के बाद बंटवारा होने पर लाखों रुपये मिले थे। इसमें से चार लाख रुपये अपने मकान मालिक डब्बू को भी दिए थे, लेकिन वह रकम अब तक वापस नहीं मिल पाई थी। गोपाल मकान मालिक की फर्म में ही कोरियर डिलीवरी का काम करता था। कुछ समय पहले मकान मालिक के साथ मिलकर लोडर भी खरीदा था।
15 दिन से नहीं कर रहा था काम
लोगों के मुताबिक गोपाल की पत्नी प्रीति का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। इसलिए डिलीवरी के दौरान गोपाल ने 15 दिन की छुट्टी ले ली थी।
रिश्तेदारों ने जताया संदेह
रिश्तेदारों ने इस हादसे पर संदेह जताया है। उनका कहना है धुआं भरता है या दम घुंटता है तो गहरी से गहरी नींद भी टूट जाती है। प्रीति मानसिक रूप से बीमार रहती हैं। हो सकता है कि उनकी नींद नहीं खुल सकी, लेकिन दोनों बच्चों अक्षत व पलक और गोपाल की नींद तो खुली होगी। उन्होंने शोर क्यों नहीं मचाया। कमरे के खिड़की दरवाजे क्यों नहीं खोले। यही नहीं गोपाल का शव फर्श पर औंधे मुंह क्यों पड़ा मिला। उनकी पीठ पर स्वेटर पर जले हुए कोयले के टुकड़े क्यों लगे थे।